मेवाड़ के महाराणा सांगा (भाग -14)

खानवा का युद्ध :- बाबर द्वारा लड़ाई की तैयारियां – फरवरी, 1527 ई. :- बयाना की लड़ाई और खानवा की पहली लड़ाई में विजयी होकर महाराणा सांगा ने बाबर को करीब 25 दिन का समय दे दिया, जिससे बाबर को युद्ध की तैयारियां करने का मौका मिला।

बाबर ने खानवा के मैदान के करीब खाईयां खुदवाई। फिर उसने अपनी सेना की रक्षार्थ गाड़ियां खड़ी करवाई, जो कि एक-दूसरी से 7-8 गज की दूरी पर खड़ी की गई और उन्हें आपस में जंजीरों से जकड़वा दिया।

जहां गाड़ियां नहीं थीं, वहां लकड़ी के तिपाए गड़वाए। इन्हें 7-8 गज लंबे चमड़े के रस्सों से बांधकर मजबूत करवा दिया। बाबर द्वारा ऐसा क्यों किया गया, यह अगले भाग में बताया जाएगा।

बाबर को हिंदुस्तान के मुसलमान सिपाहियों पर भरोसा नहीं था, इसलिए उसने उन मुसलमानों को बाहर के किलों की तरफ भेज दिया। लेकिन बाबर जानता था कि महाराणा सांगा से लड़ने के लिए उसे उसकी समस्त सेना को मैदान-ए-जंग में लाना होगा।

बाबर

कुछ महीने पहले बाबर ने अपने बेटे हुमायूं को एक फ़ौज समेत जौनपुर की तरफ भेजा था। खानवा की लड़ाई से पहले बाबर ने तुर्क सिपाहियों और अपने बेटे हुमायूं को जौनपुर से बुलाया।

मुग़ल फ़ौज में दहशत का माहौल :- बाबर के लिए सबसे पहली चुनौती तो उसके अपने सैनिकों के मन से महाराणा सांगा का भय दूर करने की थी, क्योंकि बयाना व उसके बाद पुनः एक और लड़ाई में महाराणा सांगा ने बाबर की सेना को धूल चटाई थी।

अपनी आत्मकथा बाबरनामा में बाबर लिखता है कि “राणा सांगा के फुर्ती से आने, बयाना की लड़ाई, अब्दुल अज़ीज की हार से शाही फ़ौज में घबराहट फ़ैल गई। ऊपर से शाह मंसूर वग़ैरह ने राणा और उसके आदमियों की

तारीफें करना शुरू कर दिया था, जिससे शाही फ़ौज के हौंसले पस्त होते जा रहे थे। किसी के भी मुंह से मर्दानगी की बात और बहादुरी की सलाह सुनने को नहीं मिल रही थी”

निजूमी की भविष्यवाणी :- इन्हीं दिनों काबुल से सुल्तान कासिम हुसैन, अहमद यूसुफ आदि के साथ कुल 500 घुड़सवार बाबर के पास आए। इनमें मोहम्मद शरीफ़ निजूमी नाम का एक ज्योतिषी भी था।

निजूमी मंगल के तारे को शुभ मानता था। निजूमी जिस किसी से भी मिलता, उसको यही कहता कि “मंगल का तारा पश्चिम में है, इसलिए जो भी पूर्व की तरफ से लड़ेगा, वो हारेगा”

बाबर पूर्व से लड़ने वाला था। पहले से ख़ौफ़ज़दा शाही फ़ौज के सैनिकों ने जब ज्योतिषी की भविष्यवाणी सुनी, तो उनके हौंसले और ज्यादा पस्त हो गए। उस वक्त बाबर ने अपनी सेना को हतोत्साहित करने वाले निजूमी को कोई दण्ड नहीं दिया।

महाराणा सांगा

23 फरवरी, 1527 ई. – बाबर द्वारा मेवात में लूटपाट :- बाबर ने शेख जमाली को सिपाही इकट्ठा करने के लिए दिल्ली की तरफ रवाना किया। फिर लड़ाई की तैयारियों के लिए धन वग़ैरह की जरूरत थी।

बाबर ने फ़ौजी दस्ते भेजकर मेवात और उसके आसपास के क्षेत्रों में लूटपाट की और कई लोगों को क़ैद भी किया। मेवात के हसन खां मेवाती पहले ही महाराणा सांगा की तरफ मिल गए थे।

बाबर ने मेवात पर आक्रमण के पीछे धन की कमी को कारण बताया है। जबकि वास्तविकता ये थी कि इस वक्त हसन खां मेवाती अपने सैन्य सहित महाराणा सांगा के सैन्य में शामिल थे।

बाबर चाहता था कि किसी तरह हसन खां मेवाती महाराणा सांगा की फ़ौज से निकलकर मेवात की रक्षा खातिर वहां पहुंच जाए, परन्तु यहां बाबर को सफलता नहीं मिली, क्योंकि हसन खां वहां नहीं आए।

25 फरवरी, 1527 ई. – शराब छोड़ना :- 25 फरवरी के दिन बाबर अपनी फ़ौज का मुआयना करने के लिए जा रहा था, कि तभी अचानक उसे ख़्याल आया कि उसने अपने मज़हब के विरुद्ध जो पाप किए हैं, उनका प्रायश्चित करने का समय आ गया है।

बाबर ने महाराणा सांगा से होने वाली लड़ाई से पहले कस्में वग़ैरह खाई थी, क्योंकि वह भी मन ही मन जानता था कि यह लड़ाई जीतना उसके लिए लगभग नामुमकिन है।

बाबर ने हमेशा के लिए शराब छोड़ दी और सोने चांदी के सभी प्याले व सुराहियां तुड़वाकर गरीबों में बांट दिए। 2 दिन के भीतर ही बाबर के 300 साथियों ने भी शराब छोड़ दी।

जो शराब मौजूद थी वो सारी ढुलवा दी गई, जहां शराब ढोली गई उस स्थान पर बाबर ने एक चबूतरा बनवाने का हुक्म दिया। बाबर और उसके साथियों ने दाढ़ी मुंडवाना भी हमेशा के लिए छोड़ दिया।

महाराणा सांगा

बाबर द्वारा ऐसा करने से उसकी सेना में निराशा और भी बढ़ गई। उसकी सेना को लगने लगा कि बाबर स्वयं इस लड़ाई के परिणाम को सोचकर निराश हो रहा है और खुदा को खुश करने का प्रयास कर रहा है।

26 फरवरी, 1527 ई. – तमगा कर (tax) माफ करना :- बाबर ने कसम खाई कि “अगर राणा सांगा से होने वाली जंग में हमने फ़तह पा ली, तो मुसलमानों के लिए तमगा महसूल माफ़ कर दिया जाएगा”

पोस्ट लेखक :- तनवीर सिंह सारंगदेवोत (लक्ष्मणपुरा – मेवाड़)

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