मेवाड़ के महाराणा सांगा (भाग -13)

महाराणा सांगा द्वारा बाबर को भारत में आमंत्रित करने का भ्रम :- कई लोग अभी भी यह मानते हैं कि महाराणा सांगा ने ही बाबर को भारत में बुलाया था, इसलिए मुझे इस विषय पर अलग से लेख लिखने की आवश्यकता महसूस हुई।

सबसे पहली बात तो ये कि बाबर उन शासकों में से नहीं था कि उसे आक्रमण करने का न्योता दिया जाएगा, तभी वह आएगा। बाबर आदतन आक्रमणकारी था।

अधिकतर लोग यही मानते हैं कि बाबर ने भारत में आते ही पानीपत की लड़ाई में इब्राहिम लोदी को परास्त कर दिया। जबकि वास्तव में बाबर का भारत पर 5वां आक्रमण था, जब उसने इब्राहिम लोदी को पानीपत की लड़ाई में परास्त किया।

कई पुस्तकों में स्पष्ट लिखित है कि बाबर को लाहौर के सूबेदार दौलत खां लोदी और इब्राहिम लोदी के चाचा आलम खां लोदी ने बुलाया था। दौलत खां लोदी द्वारा बाबर को बुलाने की बात भी स्वयं बाबर ने ही लिखी है।

महाराणा सांगा

महाराणा सांगा द्वारा बाबर को भारत में बुलाने की बात सिर्फ बाबरनामा में लिखित है, जो स्वयं बाबर ने लिखी है। इसके अतिरिक्त ऐसा कोई दूसरा सोर्स नहीं है, जो इस बात को प्रमाणित कर सके।

बाबर के लिखे अनुसार महाराणा सांगा ने आगरा की तरफ से व बाबर ने दिल्ली की तरफ से इब्राहिम लोदी पर आक्रमण करना तय किया।

अब यहां एक बात का विचार करना चाहिए कि जिस इब्राहिम लोदी को अकेले महाराणा सांगा ने खातोली और बाड़ी के युद्धों में 2 बार पराजित किया, उसी को तीसरी बार पराजित करने के लिए वे बाबर को क्यों बुलाएंगे।

और यदि उन्होंने करार करके बाबर को भारत में बुलाया, तो जब बाबर ने लोदी पर आक्रमण किया, तब महाराणा सांगा ने आगरा की तरफ से आक्रमण क्यों नहीं किया ?

अभी तक तो यह भी दावा नहीं किया जा सकता है कि महाराणा सांगा दिल्ली पर अधिकार करना चाहते थे। वे महत्वाकांक्षी अवश्य थे, परन्तु दिल्ली पर अधिकार करने के प्रयास तो उन्होंने कभी न किए।

उनके पास खातोली के युद्ध के बाद दिल्ली पर अधिकार करने का अच्छा अवसर था, परन्तु उन्होंने इब्राहिम लोदी का पीछा नहीं किया।

इससे भी अधिक अच्छा अवसर तब था जब महाराणा सांगा ने बाबर की सेना को पहले तो बयाना में परास्त किया और फिर बाबर द्वारा भेजी गई अलग-अलग 3-4 फौजी टुकड़ियों को परास्त किया।

महाराणा सांगा

यदि महाराणा सांगा दिल्ली पर विजय प्राप्त करने चाहते, तो उन्हें इससे अच्छा अवसर कभी नहीं मिल पाता और ये बात वे स्वयं भी जानते थे। इस समय उनके पास भारी भरकम फ़ौज थी और बाबर की सेना के हौंसले पस्त थे।

इस समय बाबर ने अपनी सेना का एक बड़ा हिस्सा हुमायूं के साथ विद्रोहियों के विरुद्ध भेज दिया था, उसकी सैन्य शक्ति कम थी। उसकी सेना में महाराणा सांगा के नाम का भय व्याप्त था।

यदि इस समय महाराणा सांगा बाबर पर आक्रमण करते तो ये लड़ाई एक पहर तक भी नहीं चलती और सीकरी व दिल्ली पर महाराणा सांगा का अधिकार हो जाता।

अब प्रश्न ये है कि बाबर ने ऐसा क्यों लिखा। तो इसका सीधा सा जवाब ये है कि बड़े-बड़े सुल्तान और बादशाह या लुटेरे जब किसी बाहरी मुल्क पर आक्रमण करते थे, तो वे इस प्रकार आमंत्रण दिए जाने की बातें लिखते थे,

ताकि इतिहास में उन्हें लुटेरों का दर्जा ना दिया जाए। हुआ भी यही, भारत की पाठ्यपुस्तकों ने बाबर को “आत्मकथा लिखने वालों का शिरोमणि” की उपाधि दी है।

बाबरनामा में कुछ और झूठ भी लिखे गए हैं, जो सैनिक आंकड़ों से सम्बंधित हैं। बाबरनामा में बाबर ने लिखा है कि पानीपत की लड़ाई में इब्राहिम लोदी के साथ एक लाख सैनिक थे।

बाबर ने खुद की फौज का आंकड़ा मात्र 12 हज़ार बताया है और उसमें भी लिखा है कि इन 12 हज़ार में सौदागर और नौकर-चाकर भी शामिल थे, जिसके चलते लड़ने वाले और भी कम थे।

कुल मिलाकर बाबर की बात मानी जाए तो उसके लगभग 10 हज़ार सिपाहियों ने इब्राहिम लोदी की 1 लाख की सेना को परास्त कर दिया।

बाबर ने इब्राहिम लोदी की कुल फ़ौज 5 लाख बताई है और लिखा है कि उस वक्त ये फौज उसके मुल्क में दूसरी जगह भेजी गई थी, जिसके कारण उसके साथ 1 लाख का लश्कर ही रहा।

ये 5 लाख का फौजी आंकड़ा बाबर को हिंदुस्तान में आने से पहले ही पता था। अब पाठक स्वयं बताएं कि क्या बाबर इतना महान था कि वह 10 हज़ार की सेना लेकर हिंदुस्तान में आया था वो भी 5 लाख का सामना करने ?

बाबर

इतिहास में कई शासकों ने अपनी आत्मकथाएं लिखी हैं। इतिहास की समझ रखने वाले लोग जानते हैं कि आत्मकथाओं पर आंख मूंद कर भरोसा नहीं किया जा सकता।

इतिहास को तर्कों से सिद्ध किया जाता है और यहां सारे तर्क इसी बात की तरफ इशारा करते हैं कि महाराणा सांगा ने बाबर को भारत में आमंत्रित नहीं किया था।

पोस्ट लेखक :- तनवीर सिंह सारंगदेवोत (लक्ष्मणपुरा – मेवाड़)

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