मेर विद्रोह :- बदनोर में महाराणा कुम्भा ने मेरों का दमन किया था। महाराणा रायमल के शासनकाल में 1480 ई. से पहले टोडा के राव सूरसेन मेवाड़ आ गए, क्योंकि टोडा पर मुस्लिमों ने कब्जा कर लिया।
इतिहासकार रामवल्लभ सोमानी ने राव सूरसेन व कविराजा श्यामलदास ने श्यामसिंह नाम लिखा है। 1494 ई. के बाद मेरों ने पुनः विद्रोह कर दिया।
महाराणा रायमल ने टोडा के सोलंकी शासक राव सुरताण/राव सुल्तान को वहां नियुक्त किया। ये उस समय पुर गांव के जागीरदार थे। पुर गांव से प्राप्त एक ग्रंथ की प्रशस्ति से इसकी जानकारी मिलती है।
1506 ई. – झालाओं का मेवाड़ आगमन :- गुजरात के हलवद ठिकाने के झाला अज्जा और झाला सज्जा अपने भाइयों के बखेड़े से निकलकर अपने बहनोई महाराणा रायमल के यहां आ गए।
मेवाड़ के प्रथम श्रेणी के 3 ठिकाने बड़ी सादड़ी, देलवाड़ा, गोगुन्दा और द्वितीय श्रेणी के 2 ठिकाने ताणा, झाड़ोल इन्हीं के वंशजों के ठिकाने हैं। झाला राजपूतों ने मेवाड़ के लिए अनेक महत्वपूर्ण बलिदान देकर अपने वंश का मान बढ़ाया।
24 मई, 1509 ई. – महाराणा रायमल का देहांत :- कुँवर जयमल के अनैतिक आचरण के कारण उनकी हत्या के मामले में महाराणा रायमल ने कुँवर को दोषी माना, परन्तु अपने पुत्र की हत्या से महाराणा के दिल पर गहरा असर पड़ा।
इस घटना के कुछ समय बाद महाराणा रायमल के ज्येष्ठ पुत्र व योग्य उत्तराधिकारी उड़णा राजकुमार पृथ्वीराज की भी हत्या हो गई। इन हत्याओं से दुःखी होकर महाराणा रायमल अक्सर अस्वस्थ रहने लगे और उनका प्राणान्त हो गया। महाराणा रायमल की छतरी जावर में स्थित है।
महाराणा रायमल का शासनकाल 36 वर्षों का रहा, जिसमें बाहरी शत्रुओं से 5 बड़ी लड़ाइयां हुईं। इनमें से 3 लड़ाइयां तो मालवा के सुल्तान गयासुद्दीन खिलजी से हुई व 2 लड़ाइयां गयासुद्दीन के बेटे नासिरुद्दीन से हुई। इन सभी लड़ाइयों में महाराणा रायमल विजयी रहे।
महाराणा रायमल द्वारा करवाए गए निर्माण कार्य :- एकलिंग जी मंदिर का जीर्णोद्धार :- महाराणा रायमल ने कैलाशपुरी स्थित एकलिंग जी मंदिर का जीर्णोद्धार करवाकर उसे वर्तमान स्वरूप प्रदान किया।
एकलिंग जी मंदिर में महाराणा मोकल ने भी कई कार्य करवाए थे, फिर महाराणा कुम्भा ने भी कुछ कार्य करवाए, परन्तु महाराणा रायमल को जीर्णोद्धार की आवश्यकता पड़ी।
इसके पीछे इतिहासकारों का मत है कि महाराणा कुम्भा के समय मालवा और गुजरात के सुल्तानों के कई आक्रमण हुए थे, उन्हीं आक्रमणों में एकलिंग जी मन्दिर को भी नुकसान पहुंचाया गया।
महाराणा रायमल के समय यह जीर्णोद्धार कार्य अर्जुन ने किया था। महाराणा ने एकलिंग जी मंदिर के खर्च के लिए नौवापुर गांव भेंट किया। 1488 ई. में महाराणा रायमल ने एकलिंग जी मंदिर के दक्षिण द्वार पर एक प्रशस्ति की रचना करवाई।
यह रचना करने वाले कवि महेश को महाराणा ने रत्नखेड़ा गांव भेंट किया। इस प्रशस्ति में महाराणा हम्मीर से महाराणा रायमल तक के महाराणाओं का वर्णन है। महाराणा रायमल व गयासुद्दीन खिलजी के बीच हुई लड़ाइयों का वर्णन भी इस प्रशस्ति में है।
तालाबों का निर्माण :- महाराणा रायमल ने राम, शंकर व समयासंकट नामक 3 तालाब बनवाए। मेवाड़ के महाराणाओं ने हमेशा से ही जलाशयों को बनवाने में ज्यादा रुचि दिखाई, जो कि आवश्यक भी था।
मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य :- महाराणा रायमल के शासनकाल में ओसवाल मंत्री सीहा, समदा, कर्मसी, धारा, लाखा आदि ने सायर के बनवाए हुए मंदिर की देवकुलिकाओं का जीर्णोद्धार करवाया और इस मंदिर में आदिनाथ की मूर्ति स्थापित की।
महाराणा रायमल का परिवार :- महाराणा रायमल की रानियां :- इन महाराणा ने कुल 11 विवाह किए, पर 3 रानियों के ही नाम मिले हैं :-
(1) रानी श्रृंगार देवी राठौड़ :- ये मारवाड़ के राव जोधा की पुत्री थीं। रानी श्रृंगार देवी ने घोसुंडी की बावड़ी बनवाई। यह विवाह महाराणा कुम्भा व राव जोधा के बीच हुई आंवल-बांवल की सन्धि के बाद तय हुआ था।
(2) रानी रतन कँवर झाली :- ये हलवद के स्वामी राजधर बाघावत की पुत्री थीं। झाला अज्जा व झाला सज्जा इन्हीं के भाई थे। इन रानी के 3 पुत्र हुए :- कुँवर पृथ्वीराज, कुँवर जयमल, कुँवर जैसा/जयसिंह।
(3) रानी चम्पा कंवर :- ये सिरोही के राव लाखाराज देवड़ा की पुत्री थीं। ये महाराणा रायमल की 10वीं रानी थीं।
महाराणा रायमल के 14 पुत्र :- (1) कुंवर पृथ्वीराज (उड़णा राजकुमार) :- इनका देहांत महाराणा रायमल के जीवित रहते ही हो गया था। इनका वर्णन महाराणा रायमल के इतिहास में ही विस्तार से कर दिया गया है।
(2) कुंवर जयमल :- इनका देहांत भी महाराणा रायमल के जीवित रहते ही हो गया था। ये अपने अनैतिक आचरण के कारण सांखला राजपूत द्वारा मारे गए।
(3) महाराणा संग्रामसिंह (राणा सांगा) :- मेवाड़ के सबसे प्रसिद्ध शासकों में से एक। इनका इतिहास अगले भाग से लिखा जाएगा।
(4) कुँवर जैसा/जयसिंह :- महाराणा रायमल ने इनको उत्तराधिकारी घोषित किया, पर कुँवर संग्रामसिंह के जीवित होने की सूचना मिली, तो जैसा को पुनः उत्तराधिकारी के पद से हटा दिया।
(5) कुंवर पत्ता (6) कुंवर रामसिंह (7) कुंवर भवानीदास (8) कुंवर कृष्णदास (9) कुंवर नारायणदास (10) कुंवर शंकरदास (11) कुंवर देवीदास (12) कुंवर सुन्दरदास (13) कुंवर ईसरदास (14) कुंवर वेणीदास।
महाराणा रायमल की पुत्रियां :- (1) आनन्द कुंवरबाई :- इनका विवाह सिरोही के राव जगमाल देवड़ा से हुआ। (2) गौरज्या देवी :- इनका विवाह 1496 ई. में मेड़ता के राव वीरमदेव के साथ हुआ। (3) दमाबाई।
पोस्ट लेखक :- तनवीर सिंह सारंगदेवोत (लक्ष्मणपुरा – मेवाड़)
Rajkumari Shri Dama bai ya Shri Damodar Kanwarji ka vivah AAMER naresh Raja Shri Prithvi Raj Singhji I ke sath hua tha.Aur Maharana Shri Raimal ki ek putri BIKANER ke teesre Rao Shri Lunkaran ko bihayi thi bass Inka nam nahi pata aur haan Gorajiya Kanwarji Ka sasural ka nam Shri Har Kanwarji tha