वीर बल्लू जी, राव सुरताण हाड़ा व महाराणा सांगा से सम्बंधित ऐतिहासिक भ्रम

वीरवर बल्लू जी चांपावत से संबंधित एक ऐतिहासिक भ्रम :- नागौर के वीर अमरसिंह राठौड़ के प्राणान्त के बाद बल्लूजी चाम्पावत वहां वीरगति को प्राप्त हुए। एक चर्चित लेख में लिखा था कि ये ही बल्लूजी महाराणा राजसिंह जी के समय देबारी के घाटे में लड़ते हुए दोबारा वीरगति को प्राप्त हुए जहां उनकी छतरी बनी है।

यह सत्य है कि बल्लूजी वीरता से लड़ते हुए आगरा में काम आए और देबारी में एक छतरी बनी है, लेकिन ये छतरी बल्लूजी के बेटे गोरासिंह जी की है और छतरी पर एक शिलालेख भी खुदा है, जिस पर स्पष्ट लिखा है “गोरासिंह बल्लूदासोत”। गोरासिंह जी ने देबारी की लड़ाई में वीरगति प्राप्त की थी।

वीरवर बल्लू जी

बूंदी के राव सुरताण सिंह हाड़ा से संबंधित एक ऐतिहासिक भ्रम :- इन्हें राव सुरतन व राव सुल्तान सिंह हाड़ा के नाम से भी जाना जाता है। महाराणा प्रताप धारावाहिक में बूंदी के राव सुरतन सिंह हाड़ा को बेहद खराब तरह से दर्शाया गया था। परन्तु वास्तविकता कुछ इस तरह है :-

1554 ई. में राव सुरतन ने किसी कुसूर पर नाराज़ होकर अपने सामंत सहसमल हाड़ा व सांतल की आँखें फुड़वा दीं। इस कुकृत्य की ख़बर जब मेवाड़ नरेश को लगी, तो महाराणा उदयसिंह जी ने फ़ौरन राव सुरतन हाड़ा को बूंदी की राजगद्दी से खारिज कर राव सुर्जन हाड़ा को बूंदी का राज दिलाया। राव सुर्जन हाड़ा चित्तौड़ के दूसरे शाके में वीरगति पाने वाले वीर अर्जुन हाडा के पुत्र थे।

कुछ वर्षों बाद राव सुरतन हाड़ा मेवाड़ आए और अपनी पुत्री शाहमति बाई हाड़ा का विवाह कुँवर प्रताप से करवाकर महाराणा उदयसिंह जी से अपने अपराधों की क्षमा मांगी, पर ऐसा करने के बाद भी उन्हें बूंदी का राज नहीं मिला। इन्हीं रानी शाहमति बाई हाड़ा से महाराणा प्रताप के पुत्र पुरणमल हुए, जिनके वंशज पुरावत कहलाते हैं।

महाराणा सांगा से संबंधित ऐतिहासिक भ्रम :- यह झूठ बहुत फैलाया गया कि महाराणा सांगा ने बाबर को भारत में आमंत्रित किया, ताकि बाबर उनको दिल्ली की गद्दी दिला सके। भारत एक खोज नामक धारावाहिक में भी इसी तरह के दृश्य दिखाकर महाराणा के इतिहास को खराब करने का प्रयास किया गया।

जब मैं उक्त धारावाहिक देख रहा था, तब एक दृश्य में महाराणा प्रताप व रानी गोंडवाना के लिए अनुचित शब्दों का भी प्रयोग किया गया और हैरानी वाली बात है कि इस धारावाहिक पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया।

बहरहाल, बाबर ने जब पानीपत की लड़ाई लड़ी, तब वह भारत पर उसका पांचवा आक्रमण था। अर्थात महाराणा सांगा ने उसको आमंत्रित किया, उससे पहले 5 बार बाबर भारत पर आक्रमण कर चुका था।

महाराणा सांगा

इस झूठ को फैलाने की हद देखिए, कि जिस इब्राहिम लोदी को महाराणा सांगा ने दो बार परास्त किया, उसी को हराने के लिए महाराणा ने बाबर को आमंत्रित किया, ऐसा बयान इन कुंठित लोगों ने लिखा है। वास्तव में बाबर को भारत में लाहौर (पंजाब) के सूबेदार दौलत खां लोदी और इब्राहिम लोदी के चाचा आलम खां लोदी ने बुलाया था।

पोस्ट लेखक :- तनवीर सिंह सारंगदेवोत (लक्ष्मणपुरा – मेवाड़)

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