ठाकुर बूहड़ (बुड़ा) सिंह मडाढ़ का इतिहास

सालवन (हरियाणा) के ठाकुर बूहड़ (बुड़ा) सिंह मडाढ़ का इतिहास :- फरवरी 1604 ई. में कैडी गाँव (जिला मुज़फ्फरनगर) के ठाकुर जोगीदास पुंडीर ने मुग़ल टुकड़ी को मार कर बादशाह अकबर का हाथी पर लदा शाही खज़ाना लूट लिया।

इस बगावत की सूचना जब अकबर को मिली तो वह आग-बबूला हो गया और तुरंत शाही सेना को बागियों के खिलाफ़ भेज दिया।

उस समय करनाल के मडाढ़ बड़गूजर अपनी शूरवीरता, हठ और शरणागत की रक्षा करने के कारण प्रसिद्ध थे। इस कारण ठा. जोगीदास पुंडीर ने सालवन के ठाकुर बूहड़ सिंह मडाढ़ के पास जाकर सहायता माँगी। ठा. बूहड़ सिंह मडाढ़ ने अपने क्षत्रिय धर्म का पालन किया और ठा. जोगीदास पुंडीर को शरण दी।

यह बात बादशाह अकबर के लिए असहनीय थी क्योंकि एक छोटे से गाँव का राजपूत मुग़ल सम्राट के विरुद्ध जाकर बागियों को शरण देने की ज़ुर्रत कैसे कर सकता है ? अकबर जल-भून गया और तुरंत शाही सेना को सालवन के विरुद्ध भेज दिया।

ठा. बूहड़ सिंह मडाढ़ ने ठा. जोगीदास पुंडीर को दनौली गांव भेज दिया और ख़ज़ाने और शाही हाथी को कुएं की गौण में छुपा दिया। शाही सेना ने आते ही सालवन गांव को घेर लिया और तोपें दाग़नी शुरू करदी। काफी समय तक लड़ाई चलती रही।

लेकिन संख्या बल में कमी के चलते ठा. बूहड़ सिंह मडाढ़ को समझौता करना पड़ा और शाही सेना उन्हें बंदी बनाकर अकबर के दरबार में ले गई। दरबार में जब अकबर ने शाही चोर को मांगा तो ठा. बूहड़ सिंह ने शरणागत को देने से मना कर दिया।

इस पर उन्हें अमनुषीय यातनाएं दी गई। ठा. बूहड़ सिंह तीन बार अपना अपराध स्वीकार कर चोर पकड़वाने के लिए सालवन गये, पर हर बार दरबार में आकर उन्होंने अपने शरणागत को देने से साफ इंकार कर दिया।

अंत में अकबर ने उनके परिवार को दरबार में बुलाया और उनकी पत्नी को शाही अपराधी ठा. जोगीदास पुण्डीर का पता बताने को कहा और धमकी दी कि पता न बताने पर उनके पति को मौत के घाट उतार दिया जाएगा।

तब ठा. बूहड़ सिंह की पत्नी ने कहा कि “अपनी मृत्यु के भय से शरणागत को तुम्हें सौंपकर हम अपने क्षत्रिय धर्म को नहीं गंवा सकते।”

ठा. बूहड़ सिंह की पत्नी की कठोर वाणी सुनकर अकबर तिलमिला उठा और क्रूर निर्णय देकर ठा. बूहड़ सिंह मडाढ़ पर आरी चलवा दी।

सालवन (हरियाणा) के ठाकुर बूहड़ (बुड़ा) सिंह मडाढ़ की पुण्यतिथि :- 6 मार्च 1604 (फाल्गुन शुक्ल द्वितीया, वि.स. 1661)

कटते-कटते मर मिटे, किंतु न छोड़ा आन को। आँच न आने दी कभी, राजपूती शान को।। पोस्ट लेखक – कुं. प्रशांत सिंह मडाढ़ (गढ़ी मुल्तान, हरियाणा)

1 Comment

  1. Yuvraj Gupta
    March 26, 2023 / 10:56 am

    Mera ek sawaal hai jo Maharana Pratap se related hai ki Haldighati Yudh Ke Baad Unke Parivar Ka Kya Hua Jaise Kunwar Amar Singh, Maharani Ajabde aur unki maa Rajmata Jaivantabai Kha Gaye?

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