मारवाड़ नरेश राव मालदेव राठौड़ की पुत्रियां :- (1) राजकुमारी राजकंवर :- इनका विवाह बूंदी के राव सुरताण हाड़ा से हुआ।
(2) राजकुमारी पोपावती (पुष्पावती) :- इनका विवाह डूंगरपुर के रावल आसकरण से हुआ। (3) राजकुमारी सजना बाई :- इनका विवाह जैसलमेर के रावल हरराज भाटी से हुआ।
(4) राजकुमारी वाल्हबाई :- इनका विवाह अमरकोट के सोढा वरसिंह से हुआ। मुहणौत नैणसी ने इनके पति का नाम वरसिंह लिखा है, जबकि अन्य ख्यातों में रायसल सोढा नाम लिखा है।
(5) राजकुमारी हंस बाई :- इनका विवाह अमरसर के लूणकरण शेखावत से हुआ। (6) राजकुमारी दुर्गावती :- इनका विवाह आम्बेर के राजा भारमल के पुत्र भगवानदास कछवाहा से हुआ।
(7) राजकुमारी इंद्रावती :- बांकीदास री ख्यात के अनुसार इनका विवाह ग्वालियर के राजा आसकरण कछवाहा से हुआ। लेकिन ये बात गलत है, क्योंकि उस समय ग्वालियर पर तोमर वंश का राज था।
(8) राजकुमारी रतनावती बाई (9) राजकुमारी कनकावती (10) राजकुमारी मीराबाई :- इनका विवाह वागड़ में हुआ।(11) राजकुमारी मानमती :- इनका विवाह रीवां के बघेल वीरभद्र के साथ हुआ।
राव मालदेव के पुत्र :- अलग-अलग पुस्तकों ने राव मालदेव के पुत्रों की संख्या भी अलग-अलग लिखी गई है। मुझे इन सभी पुस्तकों से राव मालदेव के कुल 23 पुत्रों के नाम मिले हैं, जो इस तरह हैं :-
(1) कुँवर रामसिंह :- ये राव मालदेव के ज्येष्ठ पुत्र थे। इनका जन्म 1531 ई. में हुआ। ‘मालदेव की ख्यात’ के अनुसार रामसिंह ने अपने पिता राव मालदेव को गद्दी से हटाने का असफल प्रयास किया,
जिससे क्रोधित होकर राव मालदेव ने रामसिंह को देशनिकाला दिया था। कुँवर रामसिंह अपनी माता कछवाही जी व उमादे जी के साथ मेवाड़ के गांव केलवा में रहने लगे।
जालप रूपसीहोत भाटी भी कुँवर रामसिंह के साथ गए थे। रामसिंह के 7 पुत्र हुए :- करण, कल्ला, केशवदास, नारायण, भोपत, कालू, पूरणमल।
(2) कुँवर रतनसिंह :- इनका जन्म 1532 ई. में हुआ। राव मालदेव ने कुँवर रतनसिंह को 95 गांवों सहित भाद्राजूण की जागीर दी थी। इनके वंशज रतनसिंहोत जोधा कहलाते हैं। इनके 7 पुत्र हुए :- सुरताण, जैतसी, सुंदरदास, दलपत, शादूल, नाथा, पंचायण।
(3) कुँवर भोजराज :- इनका जन्म 1533 ई. में हुआ। इनके वंशज भोजराजोत कहलाए। इनका गांव भागासणी है। इनके 4 पुत्र हुए :- शिवदास, ईश्वरदास, कर्मसिंह, कान्ह।
(4) कुँवर उदयसिंह :- इनका जन्म 1538 ई. में हुआ। राव मालदेव ने इनको फलौदी की जागीर दी। उदयसिंह बाद में मारवाड़ के महाराजा बने।
(5) कुँवर चन्द्रसेन :- राव मालदेव ने कुँवर चन्द्रसेन को सिवाना भेजा था। राव मालदेव के पास एक कीमती हीरा था, जो उन्होंने अपने पुत्र कुँवर चन्द्रसेन को दे दिया। कुँवर चंद्रसेन राव मालदेव के देहांत के बाद मारवाड़ की गद्दी पर बिराजे।
(6) कुँवर डूंगरसी :- इनके वंशज डूंगरोत जोधा कहलाए।(7) कुँवर तिलोकसी :- इनके वंशज तिलोकसीयोत कहलाए। इनके ठिकाने रावरिया व लूणावा हैं। (8) कुँवर जैमल (9) कुँवर लिखमीदास (10) कुँवर रूपसी
(11) कुँवर तेजसी (12) कुँवर ठाकुरसी (13) कुँवर ईसरदास (14) कुँवर नैतसी (क्रमांक 7 से 14 तक के पुत्रों को बांकीदास री ख्यात में ओलगण से जन्मे हुए बताया गया है)
(15) कुँवर महेशदास :- बांकीदास री ख्यात के अनुसार महेशदास के वंशज क्रमशः गोइंददास, सबलसिंह, दुर्जनसिंह, सूरजमल, जालमसिंह,
जवानसिंह, भारतसिंह हुए। उनके अधिकार में पाटोदी है। केलाणा सहित इनके कुल 13 ठिकाने हैं। महेशदास के वंशज महेशदासोत कहलाए।
(16) कुँवर भाण :- इनके वंशज भाणोत जोधा कहलाए।(17) कुँवर विक्रमादित्य :- इनके वंशज विकमायत जोधा कहलाए। (18) कुँवर आसकरण :- इनका जन्म 1551 ई. में हुआ और 5 वर्ष की अल्पायु में ही इनका देहांत हो गया।
(19) कुँवर पृथ्वीराज (20) कुँवर गोपाल :- ये अपने पिता राव मालदेव से नाराज़ होकर ईडर चले गए, जहां चावड़ा राजपूतों ने इनको मार दिया। (21) कुँवर जसवंतसिंह (22) कुँवर कल्याणदास
(23) कुँवर रायमल :- इनसे 3 शाखाएं निकलीं :- केसरसिंहोत, अभयराजोत, बिहारीदासोत। इनके 5 पुत्र हुए :- कल्याण, प्रताप, बलभद्र, कान्हा व सावंतसिंह।
इस प्रकार मारवाड़ के शासक राव मालदेव राठौड़ का इतिहास यहीं समाप्त होता है। आशा है आप सभी को राव मालदेव जी से संबंधित मेरे लेख पसंद आए होंगे।
पोस्ट लेखक :- तनवीर सिंह सारंगदेवोत (लक्ष्मणपुरा – मेवाड़)