राव मालदेव द्वारा बनवाए गए जलस्रोत :- राव मालदेव ने सिवाना के पीपलोद पहाड़ पर रायलाब नामक एक तालाब बनवाया, जिसमें वर्ष में 10 माह पानी भरा रहता था।
सिवाना के गढ़ी नामक गाँव की पहाड़ी पर एक जलस्रोत का निर्माण करवाया। मेहरानगढ़ दुर्ग में पतालिया बेरा नामक जलस्रोत बनवाया। इस स्थान पर लाल पत्थर का एक चबूतरा भी बनवाया।
राव मालदेव ने चौकेलाव तालाब बनवाया, जिसमें वर्ष में 4 माह पानी रहता है। इसके चारों तरफ लाल पत्थर का चबूतरा और उस पर दीवार बनवाई गई। पुराने नागौरी दरवाजे के निकट अपने नाम से माल बावड़ी का निर्माण करवाया।
मेहरानगढ़ दुर्ग में नीवासर नामक तालाब बनवाया, जिसमें वर्ष में 6 माह पानी भरा रहता है। दुर्ग के नीचे एक झरण है, जिसके निकट राव मालदेव ने एक कुंड बनवाकर इसके चारों तरफ दीवार बनवाई।
रानीसर के कोट के अलावा राव मालदेव ने 4 कुओं का निर्माण भी करवाया। उन्होंने नकसरा नामक तालाब भी बनवाया। राव मालदेव ने अजमेर के तारागढ़ दुर्ग में पानी के उचित प्रबंध के लिए रहट का निर्माण करवाया।
इस प्रकार राव मालदेव ने दुर्गों के परकोटे बनवाने के अलावा जलस्त्रोतों पर भी विशेष ध्यान दिया। ये वो कार्य थे जो भविष्य में इस वंश व जनता के लिए बहुत काम आए।
राव मालदेव के शासनकाल में मारवाड़ में बनवाए गए जलस्रोत :- राव मालदेव की रानी स्वरूपदे झाली ने 1 लाख फिरोज़े खर्च करके स्वरूपसागर तालाब का निर्माण करवाया, जिसे बहूजी का तालाब भी कहा जाता है।
करण सोलंकी ने एक बावड़ी का निर्माण करवाया। करण सोलंकी के पुत्र सहदेव ने भी एक बावड़ी बनवाई। मुहता जालप ने 1552 ई. में जालप बावड़ी का निर्माण करवाया।
जैताजी द्वारा रजलाणी गांव के निकट एक बावड़ी बनवाई गई। इस बावड़ी पर लगे शिलालेख से ज्ञात होता है कि इस बावड़ी की खुदाई के कार्य में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं ने भी भाग लिया था।
राव मालदेव द्वारा करवाए गए इन निर्माण कार्यों की विशेषता :- राव मालदेव द्वारा बनवाए गए भवनों की सबसे बड़ी खासियत उनकी मज़बूती है। उन्होंने विशेष रूप से नगर व किलों के परकोटे आदि बनवाने पर विशेष ध्यान दिया,
ताकि आक्रमणों से इनकी रक्षा हो सके। राव मालदेव द्वारा बनवाए गए भवन लाल रेतीले पत्थरों से बने हुए हैं। इन भवनों में सादगी ज्यादा है और कलात्मकता पर कम ध्यान दिया गया।
अधिकतर किलों का क्षेत्रफल कम होने के कारण भीतर उपयोगी महल ही बनवाए गए। राव मालदेव ने हर किले में पानी की उचित व्यवस्था पर ध्यान दिया। उन्होंने किलों में बावड़ियां, टांके, अरहठ आदि बनवाए।
राव मालदेव की रानियां :- ख्यातों में लिखा है कि राव मालदेव की 25 रानियां थीं, जिनमें से मुझे 16 के नाम मिले हैं। ख्यातों के अनुसार 25 में से 10 सती हुई थीं।
(1) रानी उमादे भटियाणी :- ये इतिहास में रूठी रानी के नाम से प्रसिद्ध हुईं। इनका इतिहास अलग से लिखा जाएगा।
(2) रानी स्वरूपदे झाली :- ये खैरवा के जैतसिंह झाला की पुत्री थीं। ये रानी राव मालदेव के सबसे अधिक करीब थीं और राव मालदेव इनसे काफी प्रभावित हुए।
रानी स्वरूपदे ने कुँवर उदयसिंह व कुँवर चन्द्रसेन को जन्म दिया। इन्हीं रानी के प्रभाव के कारण राव मालदेव ने कुँवर चन्द्रसेन को अपना उत्तराधिकारी बनाया था।
राव मालदेव के देहांत के बाद कुँवर चन्द्रसेन ने अपनी माता को सती नहीं होने दिया। रानी स्वरूपदे ने कुँवर चन्द्रसेन का राजतिलक करवाया व कुँवर उदयसिंह को फलौदी की जागीर दिलवाई, उसके बाद ही वे सती हुईं।
रानी स्वरूपदे ने मंडोवर के निकट स्वरूपसागर तालाब बनवाया, जिसे बहूजी का तालाब भी कहा जाता है। इस तालाब के निर्माण में एक लाख फिरोज़े खर्च हुए थे।
अरवौ भाणोत रोहड़िया शाखा के चारण थे। इनके पिता मारवाड़ नरेश राव मालदेव के कृपापात्र थे। इनकी बाल्यावस्था में ही इनके माता-पिता का देहांत हो गया। राव मालदेव की रानी स्वरूपदे झाली की देखरेख में ही अरवौ भाणोत बड़े हुए।
(3) रानी अरधां झाली (नवरंगदे) :- ये मेरा सूजावत की पुत्री थीं। (4) रानी हीरा झाली :- ये ध्रांगध्रा के झाला मानसिंह की पुत्री थीं। इनके पुत्र कुँवर रायमल हुए।
(5) रानी लाछलदे कछवाही :- ये अमरसर के रतनसी शेखावत की पुत्री थीं। इनके पुत्र रामसिंह हुए, जो कि राव मालदेव के ज्येष्ठ पुत्र थे।
(6) रानी ईदा चौहान :- ये राव दलपत की पुत्री थीं। (7) रानी जाम वाली कठियानी :- ये जगमाल सूरावत की पुत्री थीं। (8) रानी जमनादे :- ये किसन कल्हणोत की पुत्री थीं।
(9) रानी धारबाई भटियाणी :- ये केल्हण भाटी की पुत्री थीं। (10) पृथ्वीराज दुर्जनसालोत की पुत्री। (11) रानी सोनगरी पूरां :- ये अखैराज सोनगरा की पुत्री थीं। इनके पुत्र कुँवर गोपाल हुए। (12) रानी लोहड़िया कसूबा सोढ़ी
(13) रानी जादव राजबाई :- ये राव मंडलीक की बहन थीं। इनके पुत्र कुँवर आसकरण हुए। (14) रानी लाछा आहेड़ी :- ये आहड़ा पृथ्वीराज गांगावत की पुत्री थीं। इनके पुत्र कुँवर रतनसिंह व कुँवर भोजराज हुए।
(15) रानी द्रौपदी रमावती हाड़ी :- ये बूंदी के राव सूरजमल हाड़ा की पुत्री थीं। मारवाड़ की ख्यातों के अनुसार राव मालदेव ने क्रोधित होकर रानी रमावती को मार दिया। (16) रानी पंचायण भटियाणी :- ये नागौर के पृथ्वीराज जैतसीहोत भाटी की पुत्री थीं।
राव मालदेव की पासवान आदि :- टीपू, जीऊ, चंद्रकला, मदनकला, नैणकला, जसमंजरी, रतनमाला, पांवा, बील्ही, सुंदरी, कनकावती, रायकंवर, लाडली, सद्दा, गोमती, सुनखती, कस्तूरी, गूंगा, दीवांधरी, सावतां, रमेती, रामत, लिखमी।
पोस्ट लेखक :- तनवीर सिंह सारंगदेवोत (लक्ष्मणपुरा – मेवाड़)