मारवाड़ नरेश राव मालदेव राठौड़ द्वारा करवाए गए निर्माण कार्य :- राव गांगा का देवल :- मंडोर से कुछ दूर स्थित पंच कुंड के निकट राव मालदेव ने अपने पिता राव गांगा की स्मृति में एक देवल का निर्माण करवाया था।
इस देवल के ऊपर का भाग टूट गया था। इसका स्वरूप एक गोल कोनेदार भवन जैसा है। इसकी नक्काशी बेहतरीन है। इस पर हाथी, घोड़े, गणेश जी आदि की मूर्तियां हैं। यह मंडोर का सबसे प्राचीन देवल है।
राव मालदेव ने मेहरानगढ़ में मुसलमानों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त होने वाले राठौड़ तिलोकसी, राठौड़ अचला शिवराजोत, माला जोधावत, जैसा भाटी आदि योद्धाओं की छतरियां बनवाई, परन्तु लगता है कि समय के साथ ये छतरियां नष्ट हो गईं।
जोधपुर के परकोटों का निर्माण :- राव मालदेव के समय से पहले जोधपुर शहर का परकोटा पंचवटीया पहाड़ से लेकर खेजाली पोल तक ही था। राव मालदेव ने शहर का विस्तार करके चारों तरफ पक्का परकोटा बनवाया।
इस परकोटे में कुछ पोल (द्वार) भी बनवाई गई। राव मालदेव के शासनकाल में फूलेराव के ऊपर की पोल, चांदपोल, पुराने मेड़तिया दरवाजे की जगह एक पोल,
पुराने नागौरी दरवाजे की जगह एक पोल व वीरमपुरी की मरीम पोल का निर्माण करवाया गया। राव मालदेव ने मेहरानगढ़ दुर्ग में स्थित झरण के परकोटे का निर्माण करवाया।
जोधपुर किले के प्रारंभ में रानीसागर तालाब बना हुआ है, जिसकी चारों तरफ का परकोटा राव मालदेव ने बनवाया। इसकी पोल पर राव मालदेव के समय के 2 शिलालेख (1556 व 1558 ई.) के खुदे हुए हैं।
राव मालदेव ने मेहरानगढ़ दुर्ग के परकोटे का भी निर्माण करवाया और पहले से बने हुए परकोटे में भी काफी नवीनीकरण किया गया। इन सब परकोटों के निर्माण में 9 लाख फदिए खर्च हुए थे।
उस ज़माने में 20 फदिए की कीमत एक रुपए के बराबर होती थी। कहीं-कहीं वर्णन मिलता है कि राव मालदेव को यह धनराशि सांभर झील के नमक से प्राप्त हुई थी।
चौकेलाव का परकोटा :- राव मालदेव ने 1535 ई. में सेवकों के लिए चौकेलाव बनवाया था। 1541 ई. में उन्होंने यहां एक परकोटा बनवाया। लेकिन यह परकोटा बाद में गिर गया, जिसके बाद महाराजा मानसिंह ने पुनः परकोटा बनवाया।
नाडौल का कोट :- राव मालदेव ने नाडौल के चारों तरफ एक कोट बनवाई थी, जिसमें 35 हज़ार रुपए खर्च हुए। यह दीवार नोकदार पत्थरों से बनी हुई है, जिसमें दरवाजे भी हैं।
भाद्राजूण परकोटा :- राव मालदेव ने भाद्राजूण के चारों तरफ एक परकोटा बनवाया, जिसमें 2 हज़ार रुपए खर्च हुए।
गूंदोच व दुनाड़ा में कोट निर्माण :- राव मालदेव ने गूंदोच में कोट बनवाई, जिसमें 2 हज़ार रुपए खर्च हुए। राव मालदेव ने दुनाड़ा की कोट बनवाई, जिसमें 3200 रुपए खर्च हुए।
अजमेर के तारागढ़ दुर्ग में निर्माण कार्य :- राव मालदेव ने तारागढ़ के पास नूरचश्मे की तरफ के बुर्ज़ व कोट का निर्माण करवाया। उन्होंने तारागढ़ में जल के उचित प्रबंध हेतु रहठ का निर्माण भी करवाया।
पोकरण का कोट :- राव मालदेव ने सातलमेर किले को गिरवाकर उसी सामग्री से पोकरण दुर्ग की पहली नींव पर एक नए कोट का निर्माण करवाया।
फलौदी का कोट :- राव मालदेव ने फलौदी दुर्ग की नींव पर एक नए कोट का निर्माण करवाया और पोल भी बनवाई। फलौदी दुर्ग की दीवारें 40 फ़ीट ऊंची हैं।
सोजत किले में निर्माण कार्य :- राव मालदेव ने सोजत किले के कोट का निर्माण करवाया। उन्होंने किले के रामेलाव तालाब को ऊपर लाने के लिए एक अरहठ का निर्माण भी करवाया।
पीपलोद में कोट :- सिवाना के निकट स्थित पीपलोद गांव की एक पहाड़ी पर राव मालदेव ने 15 हज़ार रुपए खर्च करके मालकोट बनवाया। यहां राव मालदेव के समय का एक लेख भी खुदा हुआ है।
राव मालदेव द्वारा बनवाए गए परकोटों के अंदर की तरफ एक पगडंडी बनवाई जाती थी, ताकि आक्रमण के समय वहां सैनिक चल सकें। बाहर खड़ी फौज को देखने व बंदूक-तीर आदि चलाने के लिए छेद भी रखे जाते थे।
राव मालदेव ने नागौर की शहरपनाह का जीर्णोद्धार करवाया और पीपाड़ का कोट भी बनवाया। रेउ साहब ने राव मालदेव द्वारा चाटसू व बीकानेर में भी कुछ निर्माण कार्य करवाना लिखा है।
राव मालदेव द्वारा बनवाए गए किले :- रायपुर में किला :- राव मालदेव ने रायपुर में मालगढ़ नाम से एक गांव बसाकर किले का निर्माण करवाया।
रीयां का किला :- राव मालदेव ने मेड़ता में रीयां नामक गांव की पहाड़ी पर एक छोटा किला बनवाया, जिसमें 35 हज़ार फदिए खर्च हुए। इसके चारों तरफ दीवार भी बनवाई गई।
कुंडल का किला :- राव मालदेव ने मेड़ता के राव जयमल राठौड़ के किले के महल आदि गिरवा दिए थे। फिर राव मालदेव ने मेड़ता की सुरक्षा के लिए शहर से बाहर
कुंडल की पहाड़ी पर एक किला मालकोट नाम से बनवाया, जिसमें 1,80,000 फदिए खर्च हुए। यह किला 1557 ई. से 1559 ई. के बीच बनवाया गया।
राव मालदेव द्वारा निर्मित मंदिर :- सोजत के किले में एक देवी का मंदिर है, जो राव मालदेव द्वारा बनवाया गया बताया जाता है। राव मालदेव ने मेहरानगढ़ दुर्ग में मौजूद चामुंडा माता मंदिर के लिए एक मंडप का निर्माण करवाया।
पोस्ट लेखक :- तनवीर सिंह सारंगदेवोत (लक्ष्मणपुरा – मेवाड़)
हुकुम kundal sarovar मेरे गाँव katyasani और merta के बीच में ही है और उसके पास ही एक sainko के लिए एक parkote yukt chhavni बनी हुई है जिसे malkot kehete है लेकिन यह किसी pahadi पर नहीं होकर samtal medan पर बना हुआ है जिसके 2 taraf kundal sarovar और बाकी taraf khai khudi हुई है
इसकी photo आपने lga भी रखी है
Or merta के 30-40 km के radius में कोई pahadi नहीं है
Samtal maidan है
Only aapse जानकारी sajha की है sa
Aap otherway m mt lena सा