जालोर पर असफल चढ़ाई :- राव गांगा राठौड़ ने एक सेना जालोर के शासक मलिक अली शेर खां के विरुद्ध भेजी। 4 दिनों तक दोनों पक्षों में लड़ाई होती रही। अंत में राठौड़ों को पराजित होकर लौटना पड़ा।
1520 ई. – ईडर की चढ़ाई में राठौड़ों द्वारा महाराणा सांगा की सहायता करने का वर्णन :- मारवाड़ की ख्यात में वर्णन है कि जब मेवाड़ के महाराणा सांगा ने ईडर के उत्तराधिकार संघर्ष में रायमल राठौड़ का पक्ष लेकर गुजरात के सुल्तान मुजफ्फर शाह के विरुद्ध चढ़ाई की,
उस समय उन्होंने राव गांगा से सहायता मांगी। राव गांगा स्वयं सेना सहित वहां गए। जिसके बाद सुल्तान को भागकर प्राण बचाने पड़े।
वास्तव में इस बात में सच्चाई नहीं है, क्योंकि राव गांगा स्वयं आते या सेना भेजते तो यह बात मेवाड़ के इतिहास में अवश्य लिखी होती। इसके अलावा इस युद्ध में सुल्तान मुजफ्फर शाह स्वयं नहीं आया था।
राठौड़ों की जालोर पर दूसरी चढ़ाई :- 1525 ई. में सिकन्दर खां जालोर की गद्दी पर बैठा, तब गज़नी खां ने जालोर का राज पाना चाहा। गज़नी खां मदद पाने के लिए राव गांगा के पास आया।
राव गांगा ने अपने एक सेनापति को ससैन्य गज़नी खां के साथ भेज दिया। सिकन्दर खां ने मारवाड़ के सेनापति को फ़ौज खर्च के रुपए दे दिए, जिसके बाद मारवाड़ की फौज पुनः जोधपुर लौट आई।
1527 ई. – बयाना व खानवा के युद्धों में मारवाड़ के राठौड़ों का योगदान :- मेवाड़ के महाराणा सांगा व मुगल बादशाह बाबर के बीच 1527 ई. में बयाना और खानवा के भीषण युद्ध हुए।
बयाना के युद्ध में कई जगह वर्णन मिलता है कि मारवाड़ नरेश राव गांगा राठौड़ स्वयं अपनी सेना सहित उपस्थित थे। बयाना के युद्ध में महाराणा सांगा विजयी रहे।
लगभग एक माह बाद खानवा का युद्ध हुआ, जिसमें मारवाड़ के राव गांगा ने मेड़ता के राव वीरमदेव (राव जोधा के पुत्र राव दूदा के पुत्र) को 4 हजार की सेना सहित मेवाड़ के महाराणा सांगा का सहयोग करने के लिए विदा किया।
इस सेना के साथ राव वीरमदेव के 2 छोटे भाई रायमल राठौड़ व रतनसिंह राठौड़ भी थे। खानवा के युद्ध में रायमल व रतनसिंह कई राठौड़ साथियों सहित वीरगति को प्राप्त हुए। ये रतनसिंह राठौड़ प्रसिद्ध भक्त शिरोमणि मीराबाई जी के पिता थे।
राव गांगा द्वारा दान में दिए गए गांव :- राव गांगा ने 13 गांव ब्राह्मणों को, 2 गांव चारणों को व एक गांव पाबूजी के पुजारी धांधलों को दान में दिया।
राव गांगा ने निम्नलिखित गांव दान दिए :- सोजत परगने के चारवास, तालका व धूडासणी गांव पुरोहितों को दान में दिए। जोधपुर परगने के खारावेरा, घेवड़ा, सुराणी व घटियाला गांव पुरोहितों को दान में दिए।
जोधपुर परगने का चगावडा गांव चारण को दान में दिया। सोजत परगने का अनंतवासणी गांव ब्राह्मण को दान में दिया। जोधपुर परगने का काकेलाव गांव व्यास को दान में दिया।
राव गांगा द्वारा करवाए गए निर्माण कार्य :- राव गांगा ने जोधपुर में गांगेलाव तालाब व गांगा की बावड़ी का निर्माण करवाया। गांगा की बावड़ी अचलेश्वर महादेव मंदिर के निकट स्थित है।
राव गांगा राठौड़ का परिवार :- राव गांगा की 9 रानियां व 6 पुत्र थे। राव गांगा की 3 पुत्रियों के नाम भी मिले हैं। राव गांगा की 9 रानियों की जानकारी इस तरह है :- (1) रानी गंगादे सांखली
(2) रानी उत्तमदे सिसोदिनी :- ये मेवाड़ के महाराणा सांगा की पुत्री थीं। रानी उत्तमदे का पीहर का नाम पद्मावती था। इन रानी ने जोधपुर में पदमसर तालाब का निर्माण करवाया।
(3) रानी माणकदे देवड़ी :- राव गांगा का विवाह सिरोही के राव जगमाल देवड़ा की पुत्री माणकदे से हुआ। माणकदे का पीहर का नाम भी पद्मावती था। रानी माणकदे श्यामजी की परम भक्त थीं।
विवाह के समय उन्होंने अपने पति राव गांगा से कहा कि आप मेरे पिता से श्यामजी की मूर्ति मांगिये। राव गांगा ने राव जगमाल से श्यामजी की मूर्ति मांगी और यह मूर्ति जोधपुर लाकर मेहरानगढ़ दुर्ग में स्थापित करवाई।
इस मूर्ति का पुजारी उन्हीं को बनाया गया, जो सिरोही में इनकी पूजा किया करते थे। राव गांगा ने अपने नाम के साथ श्यामजी का नाम भी जोड़ दिया, जिससे वे गंगश्याम नाम से भी जाने गए।
रानी माणकदे ने 3 पुत्र (परमप्रतापी राव मालदेव, कुँवर वैरसल व कुँवर मानसिंह) और एक पुत्री सोनबाई को जन्म दिया। कुँवर मानसिंह को काकाणी की जागीर दी गई। सोनबाई का विवाह जैसलमेर के रावल लूणकरण भाटी के साथ हुआ।
(4) रानी फूलाबाई भटियाणी :- इन्होंने एक पुत्री राजकुंवर बाई को जन्म दिया, जिनका विवाह मेवाड़ के महाराणा विक्रमादित्य से हुआ।
(5) रानी लाडबाई भटियाणी :- इन्होंने एक पुत्र कुँवर किशनसिंह को जन्म दिया। (6) रानी चंद्रावल बाई कछवाही
(7) रानी सवीरा बाई सोनगिरि :- इन्होंने एक पुत्री चंपाबाई को जन्म दिया, जिनका विवाह सिरोही के रायसिंह देवड़ा से हुआ।
(8) रानी जेवता देवड़ी :- इन्होंने 2 पुत्रों को जन्म दिया :- कुँवर शार्दूल/सादुल व कुँवर कान्ह। कुँवर कान्ह की जागीर माणकलाव में थी। (9) रानी प्रेमदे झाली
राव गांगा के 6 पुत्र :- (1) परमप्रतापी राव मालदेव (2) कुँवर वैरसल (3) कुँवर मानसिंह (4) कुँवर किशनसिंह (5) कुँवर सादूल (6) कुँवर कान्ह।
पोस्ट लेखक :- तनवीर सिंह सारंगदेवोत (लक्ष्मणपुरा – मेवाड़)