राव सातल राठौड़ का परिचय :- ये मारवाड़ नरेश राव जोधा व हाड़ी रानी जसमादे के पुत्र थे। राव जोधा के ज्येष्ठ पुत्र कुँवर नींबा का देहांत अपने पिता की जीवित अवस्था में ही हो गया।
राव जोधा के दूसरे पुत्र राव बीका ने जांगल प्रदेश में जाकर बीकानेर राज्य की स्थापना कर दी। इस प्रकार राव जोधा के तीसरे पुत्र राव सातल राव जोधा के उत्तराधिकारी हुए। राव सातल राठौड़ का जन्म 1435 ई. में हुआ।
कुंडल के क्षेत्र पर कुँवर सातल का अधिकार :- कुँवर सातल का विवाह कुंडल के स्वामी देवीदास भाटी की पुत्री से हुआ। जब देवीदास जी जैसलमेर के महारावल बने, तब उन्होंने 1457 ई. में कुंडल का क्षेत्र अपने दामाद कुँवर सातल को सौंप दिया।
यह जानकारी 1458 ई. में कोलू (फलौदी) के लेख से मिलती है। यह शिलालेख लोकदेवता पाबूजी के मंदिर से मिला है, जिसका जीर्णोद्धार धांधल सोहड़ राठौड़ ने करवाया था। कुंडल का क्षेत्र फलौदी के निकट स्थित है।
यह क्षेत्र कुँवर सातल को सौंपने के पीछे एक कारण यह भी था कि यहां पोकरण के पोकरणा राठौड़ों व भाटियों के बीच आए दिन लड़ाइयां होती थीं। इस प्रकार पोकरण व फलौदी का निकटवर्ती क्षेत्र कुँवर सातल के अधिकार में आ गया।
राव सातल का राज्याभिषेक :- 1488 या 1489 ई. में राव सातल का राज्याभिषेक हुआ। राजतिलक के समय उनकी आयु लगभग 53 वर्ष थी। राज्याभिषेक के समय राव सातल ने जोधपुर परगने का एक गांव एक चारण को दान में दिया।
राव सातल का व्यक्तित्व :- राव सातल एक योग्य शासक थे और अपने पूर्वजों की भांति ही वीर थे। राव सातल की गिनती उन शासकों में होती है, जिनका शासनकाल अवश्य कम रहा हो, परन्तु कम शासनकाल में ही ऐसा काम कर दिया हो जिसे युगों-युगों तक याद रखा जा सके।
राव सातल की रानियां :- राव सातल की 7 रानियां थीं। इनमें से कुछ का वर्णन इस तरह है :- (1) रानी हरखबाई, जो कि पटरानी थीं। रानी हरखबाई को नागणेच्या जी के साथ भी पूजा जाता है।
(2) रानी फूल कंवर भटियाणी, जो कि कुंडल के स्वामी देवीदास भाटी की पुत्री थीं। रानी फूल कंवर भटियाणी ने जोधपुर में चांदपोल के निकट अपने नाम से फूलेलाव तालाब का निर्माण करवाया।
इस तालाब की प्रतिष्ठा 1490 ई. में की गई। शेष पांचों रानियों की समाधियां मंडोर में क्षेत्रपाल के निकट गोडियों की बावड़ी में हैं।
राव सातल का दत्तक पुत्र :- राव सातल के कोई पुत्र नहीं था, इस कारण उन्होंने अपने छोटे भाई सूजा के पुत्र नरा को गोद लिया। नरा के वंशज नरावत राठौड़ कहलाए। नरावत राठौड़ों के भडाणा आदि कुल 6 ठिकाने हैं।
राव सातल द्वारा बीकानेर पर चढ़ाई का उल्लेख :- एक प्राचीन गीत के अनुसार राव सातल ने गद्दी पर बैठने के बाद जैसलमेर के रावल देवीराज भाटी व पूंगल के राव शेखा के साथ मिलकर बीकानेर के राव बीका राठौड़ के विरुद्ध चढ़ाई की।
परन्तु इसमें उन्हें कोई सफलता नहीं मिली। यह घटना केवल गीत के रूप में विद्यमान है और इसमें संवत आदि भी नहीं हैं, जिससे इसकी सत्यता का पता नहीं चल सका है। इस गीत के रचयिता का नाम भी कहीं नहीं लिखा है।
सातलमेर की स्थापना :- राव सातल ने पोकरण से 2 कोस दूर गढ़ बनवाकर अपने नाम से सातलमेर नगर बसाया।
कुछ ख्यातों के अनुसार इस नगर की स्थापना नरा ने की थी। दरअसल, राव सातल के दत्तक पुत्र नरा ने यहां नरासर नामक तालाब बनवाया। सातलमेर बाद में उजड़ गया।
राव सातल द्वारा अपने भाई को क़ैदमुक्त करवाना :- मारवाड़ में अकाल पड़ा, तो राव सातल के भाई वरसिंह ने मेड़ता से रवाना होकर सांभर को लूट लिया। इस समय अजमेर का हाकिम मल्लू खां था, जिसका वास्तविक नाम मलिक यूसुफ था।
मल्लू खां को मांडू के सुल्तान नासिरशाह खिलजी ने अजमेर में नियुक्त किया था। सांभर की लूट का बदला लेने के लिए 1490 ई. में मल्लू खां ने वरसिंह को अजमेर बुलाकर धोखे से कैद कर लिया।
यह सूचना मिलते ही जोधपुर से राव सातल ने, बीकानेर से राव बीका ने व राव दूदा ने अपनी-अपनी सेनाओं सहित अजमेर पर चढ़ाई कर दी। राठौड़ों की भारी भरकम फौजें आती देखकर लाचार होकर मल्लू खां ने वरसिंह को छोड़ दिया।
अगले भाग में मल्लू खां व राव सातल के बीच हुए कोसाणा के भीषण युद्ध का वर्णन किया जाएगा। पोस्ट लेखक :- तनवीर सिंह सारंगदेवोत (लक्ष्मणपुरा – मेवाड़)
जय माता जी री हुकुम, मुझे देख के खुशी हुई की आपने कैटेगरी में एक ऑप्शन चारणो का भी रखा हैं, और प्रसन्नता हुई की आप हमें भूले नहीं है।
में आपके पोस्ट और ऐतिहासिक घटनाओं में मदद करना चाहता हु ,अगर आपको रुचि हो तो मुझे Gmail कर सकते हैं ।
जय करणल 🙏