मेवाड़ के तृतीय श्रेणी के ठिकाने :- मेवाड़ में तृतीय श्रेणी सामंतों के 332 ठिकाने हैं। इन सामंतों को दरबार में बैठने का अधिकार प्राप्त था, लेकिन इनमें से ताजीम का अधिकार किसी-किसी को ही था।
Note :- जिन ठिकानों को ताजीम का अधिकार प्राप्त था, उन ठिकानों के नाम यहां गहरे अक्षरों (Bold) में लिखे गए हैं।
तृतीय श्रेणी के सर्वाधिक ठिकाने राणावत राजपूतों के हैं। राणावत राजपूतों के 81 ठिकाने :- बड़लियास, बरसल्यावास, बावलास, नारेला, परसाद, तिरोली, केरिया, बाँसड़ा, पहुना, पहुँनी, कांकरवा, मंडपिया,
कुंचोली, पारोली, कारुंडा, जलोदा, जामोली, साकरोदा, मादड़ी, सादड़ी, नेतावल, सायला, बोडियास, आछोडा, बोरखेड़ा, दांतड़ा, गुपेसरा, बिरमियावास, हिसणिया, गांगास, लांगच, बाँसनी, जेवाणा, तुरकिया, रूपपुरा,
अरकिया, मालपुरा, कंथारिया, पचोरिया खेड़ा, ठुकरावा, अखयपुर, भीमपुरा, माकड़ा, सोडावास, अमरतिया, जीतिया, भान्याबारी उम्मेदपुरा, इंद्रपुरा, अगरपुरा, जोरारा खेड़ा, भाखलिया, नालिया-केकड़ी, खेरूना, अरसीपुरा, गेहुली, देवपुरा, धामन घाटी, तिरोली, काशीराम का खेड़ा,
डेलाणा, आगरिया, मालगढ़, छापरेल, हाज्यावास, धाधोला, तरनिया खेड़ा, रोजड़ा, विट्ठलपुरा, अरेट की भागल, ऊरजन सिंह का खेड़ा, मांगरोल, खेड़ी, अणत, गोथिया, आजनी, ओडवाडिया, भगवतपुरा, गेंदलिया, मदनपुरा, पिपलांतरी, दादिया।
राणावत राजपूतों के कुछ ठिकानों की अतिरिक्त जानकारी :- ‘बरसल्यावास’ शाहपुरा के सर्दार सुजानसिंह जी के ज्येष्ठ पुत्र फतहसिंह जी के वंशजों का ठिकाना है। ‘केर्या/केरिया’ महाराणा कर्णसिंह जी के दूसरे पुत्र गरीबदास जी के वंशजों का ठिकाना है।
‘बाँसड़ा’ ठिकाना केर्या वालों के वंशज उर्जनसिंह जी को महाराणा भीमसिंह जी ने दिया था। ‘परसाद’ वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के वंशज चंद्रसेन जी के पुत्र कल्याणसिंह जी के वंशजों का ठिकाना है।
‘जामोली’ महाराणा उदयसिंह जी के 9वें पुत्र जगमाल के दूसरे बेटे विजयसिंह जी के वंशजों का ठिकाना हैै।
चुंडावत राजपूतों के 54 ठिकाने :- ‘पतियाल’ ठिकाना चुंडावतों का है। कृष्णावत चुंडावत राजपूतों के ठिकाने :- बम्बोरा, साटोला, कोटड़ा, ढेलाणा, मानपुर, जसुरा खेड़ा। मेघावत चुंडावत राजपूतों के ठिकाने :- कालकोट, निमोदा।
सांगावत चुंडावत राजपूतों के ठिकाने :- बस्सी, दौलतगढ़, ज्ञानगढ़, लवारिया, तलोली, कुंटवा, कालिया वास, साड़ास, निम्बाहेड़ा, धावड़िया, आमलदा, जोगरास, सरेरी, देवलिया, मालास, दांतड़ा, सांगट, सुवावा, पिपलिया, खाखरमाला, टणका, ठिकरिया।
जगावत चुंडावत राजपूतों के ठिकाने :- कोशीथल, ताल, पीथावास, जिलोला, भादू, मान्यास, चिताम्बा, फलामांदा, चावण्डिया, अरनिया, करठा, बगड़, भटवाड़ा खुर्द, पांडरू, थाणा, जालरा, खुटियाँ, नांदशा, आसपुर, बडू, फाकोलिया, भाणास, लसाड़िया।
चुंडावत राजपूतों के कुछ ठिकानों की अतिरिक्त जानकारी :- ‘बम्बोरा’ सलूम्बर रावत कांधल जी के पुत्र सामंतसिंह जी के वंशजों का ठिकाना है। ‘दौलतगढ़’ देवगढ़ के रावत गोकुलदास जी प्रथम के चौथे पुत्र दौलतसिंह जी के वंशजों का ठिकाना।
‘साटोला’ सलूम्बर के रावत केसरीसिंह जी के पुत्र रोड़सिंह जी के वंशजों का ठिकाना है। ‘बस्सी’ देवगढ़ के रावत गोकुलदास जी प्रथम के छोटे पुत्र सबलसिंह जी के वंशजों का ठिकाना है।
‘जिलोला’ आमेट के रावत पृथ्वीसिंह जी के छोटे पुत्र नाथसिंह जी के वंशजों का ठिकाना है। ‘ताल’ आमेट के रावत पृथ्वीसिंह जी के पुत्र मानसिंह जी के छोटे पुत्र रामसिंह जी के वंशजों का ठिकाना है।
‘ग्यानगढ़’ देवगढ़ के रावत जसवंतसिंह जी के दूसरे पुत्र गोपालदास जी (करेड़ा वाले) के वंशजों का ठिकाना है। महाराणा भीमसिंह जी ने गोपालदास जी के दूसरे पुत्र ग्यानसिंह जी को यह जागीर दी। ‘भादू’ की जागीर महाराणा राजसिंह जी ने आमेट के भारतसिंह जी चुण्डावत को दी।
‘पीथावास’ का ठिकाना महाराणा जयसिंह जी ने आमेट के रावत मानसिंह जी चुण्डावत के छोटे पुत्र रत्नसिंह जी को दिया। ‘तलोली’ की जागीर महाराणा अमरसिंह जी द्वितीय ने देवगढ़ के सुल्तानसिंह जी चुण्डावत को दी थी।
राठौड़ राजपूतों के 54 ठिकाने :- नीमड़ी, रूपाहेली खुर्द, कणतोड़ा, आगरिया, कटार, अंटाली, गलवा, लाछुड़ा, बरोल, जगपुरा, लाम्बा, बरड़ोड़, केवलिया/करवल्या, सिरडी, मोटरास, सनोदिया, खारड़ा, नाहरगढ़,
सोनियाणा, धोली, ऊंखलिया, देवरिया, भटेड़ा, सूराज, ओरड़ी, सीरोड़ी, बादरपुरा, दांतड़ा, देवला, गुड़ा, भभाना, बेणीपुरा, गरवर, माहसिंह का खेड़ा, जसवंतपुरा, चांदरा गुड़ा, ऊछकिया, छतरसिंह का खेड़ा, बरवाड़ा,
बड़दसिंह का खेड़ा, जोधपुरिया, आमेसर भौमिया, शंकरपुरा, बागपुरा, बेड़वास, सवाईगढ़, माताजी का खेड़ा, डबकुड़ा, माचड़ा, खारदिबहू, फरारा, खाकदड़ा, रूपाखेड़ी, डाबला।
राठौड़ राजपूतों के कुछ ठिकानों की अतिरिक्त जानकारी :- छप्पनिया राठौड़ों की 2 शाखाएँ हैं :- कोलावत और जगावत। ‘कणतोड़ा’ वाले कोलावत राठौड़ हैं। ‘नीमड़ी’ मारवाड़ के राव सलखा जी के ज्येष्ठ पुत्र मल्लीनाथ जी के वंशजों का ठिकाना हैै।
‘जगपुरा’ बदनोर के ठाकुर जयसिंह जी राठौड़ के छोटे पुत्र संग्रामसिंह जी के वंशजों का ठिकाना हैै। ‘डाबला’ बदनोर के ठाकुर मनमनदास जी के 6ठे पुत्र सबलसिंह जी के वंशजों का ठिकाना है। यह जागीर महाराणा राजसिंह जी ने हरिसिंह जी राठौड़ को दी थी।
शक्तावत राजपूतों के 42 ठिकाने :- सियाड़, पानसल, हींता, कुंथवास, पुठोली, रूद, घटियावली, महुवा, श्यामपुरा, सेमारी, पालछ, जलंधरी/जलेदरी, कोल्यारी, जगत, रोलाहेड़ा, पीपलदा, कलवल, ओछ्ड़ी, खोर, भेरवी,
मांडकला, सांड, कुंचलवाड़ा, कुंचलवाड़ा खुर्द, जेतपुरा, झन्भोला, अमरतिया, बिखरनी, मदारा, करेडिया, गाडरियावास, हेमपुरा, सिंधवड़ी, जसुरा खेड़ा, खंगार जी का खेड़ा, धूलखेड़ा, डेडकिया, कुंडई, उदलपुरा, बाणा, मण्डपिया, रसदपुरा।
शक्तावत राजपूतों के कुछ ठिकानों की अतिरिक्त जानकारी :- ‘सेमारी’ बान्सी के रावत नरहरदास जी शक्तावत के वंशजों का ठिकाना हैै। यह ठिकाना महाराणा जगतसिंह जी द्वितीय ने नरहरदास जी के वंशधर दुर्जनसिंह जी को दिया था।
‘हींता’ महाराणा उदयसिंह जी के दूसरे पुत्र महाराज शक्तिसिंह जी के चौथे बेटे चतुर्भुज जी के वंशजों का ठिकाना है। पहले यह जागीर राणावतों के अधिकार में रही। बाद में महाराणा भीमसिंह जी ने चतुर्भुज जी शक्तावत के 8वें वंशधर केसरीसिंह जी को यह जागीर दी।
‘रूद’ की जागीर महाराणा अरिसिंह जी द्वितीय ने देवीसिंह जी शक्तावत को दी। ‘सियाड़’ की जागीर महाराणा अरिसिंह जी द्वितीय ने सूरजमल जी शक्तावत को दी।
‘पानसल’ ठिकाना महाराज शक्तिसिंह जी के पुत्र भाण जी के छोटे बेटे वैरिशाल जी के 7वें वंशज किशनसिंह जी को जागीर में मिला। ‘कूंथवास’ भीण्डर के महाराज पुरणमल जी के दूसरे पुत्र चतरसाल जी के वंशजों का ठिकाना है।
चौहान राजपूतों के 25 ठिकाने :- थामला, बनेडिया, पीपली, आक्या, केरोट, सलीया बड़ी, सोमी, बागडोलिया, जगतसिंह का खेड़ा, शंभुनाथ का खेड़ा, सुल्तानपुरा,
धुलियाना, भूपाल नगर, सालेरा, बोरज, कोड़ाकड़ा, बोरज का खेड़ा, रुद का गुड़ा, राती तलाई, मोहनराम का गुड़ा, गुडलां। ‘गुडलां’ कोठारिया के चौहान वंश से निकले हुए रत्नसिंह जी के वंशजों का ठिकाना है।
देवड़ा चौहान राजपूतों के ठिकाने देबारी, बरड़ा व मोरवानिया हैं। हाड़ा राजपूतों का एकमात्र ठिकाना ‘ऐरा’ है।
सोलंकी राजपूतों के 13 ठिकाने :- रूपनगर, झीलवाड़ा, खाकरोद, चन्देरिया, साजनपुर, खाचरोल, पीथास, भटवाड़ा कलां, पंचटोली, भालोटा की खेड़ी, हरिसिंह का खेड़ा, सोलंकियों का खेड़ा, मर्च्या खेड़ी।
‘रूपनगर’ गुजरात के देपा जी सोलंकी के पुत्र भोजराज जी के वंशजों का ठिकाना है। ‘मर्च्याखेड़ी’ महाराणा भीमसिंह जी ने भूपसिंह जी सोलंकी को दिया था।
पुरावत राजपूतों के 12 ठिकाने :- मंगरोप, गुरलां, सुरास, सिंगोली, आठूंण, जवासिया, भैंसा कुंडल, सालमपुरा, आकोला, सालरिया, दांता, गाडरमाला।
पुरावत राजपूत वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के 11वें पुत्र पुरणमल जी के वंशज हैं। ‘गुरलां’ मंगरोप के स्वामी महेशदास जी के छोटे भाई मोहकमसिंह जी पुरावत के वंशजों का ठिकाना हैै।
‘आठूंण’ मंगरोप के स्वामी जसवंतसिंह जी के छोटे पुत्र चतरसिंह जी के वंशजों का ठिकाना है। चतरसिंह जी को यह ठिकाना महाराणा अमरसिंह जी द्वितीय ने 1708 ई. में दिया।
‘सिंगोली’ मंगरोप के स्वामी महेशदास जी के छोटे भाई मोहकमसिंह जी पुरावत के वंशजों का ठिकाना है। महाराणा अरिसिंह जी द्वितीय ने यह जागीर नवलसिंह जी पुरावत को दी थी।
‘गाडरमाला’ गुरलां के स्वामी बख्तसिंह जी के भाई भूपतसिंह जी के वंशजों का ठिकाना है।
भाटी राजपूतों के 10 ठिकाने :- मोही, मुरोली, जगपुरा, आलोली, बानीणा, बिलोला, डगला का खेड़ा, मोरवण, बराड़ा, ऊंचा।
‘मोही’ जैसलमेर के महारावल मनोहरदास जी के पौत्र सबलसिंह जी के एक पुत्र महासिंह जी भाटी के वंशजों का ठिकाना है। ‘मुरोली’ जैसलमेर से मेवाड़ आए हुए अमरसिंह जी भाटी के वंशजों का ठिकाना है।
कान्हावत/कानावत राजपूतों के 7 ठिकाने :- आमल्दा, ठीटोड़ा, बाकरा, हाथीपुरा, ऊरना, जीकरी, रासिंगपुरा। कानावत राजपूतों के ये सभी ठिकाने महाराणा उदयसिंह जी के 5वें पुत्र कान्हसिंह जी के वंशजों के हैैं।
झाला राजपूतों के 6 ठिकाने :- झाड़ौल, भगोर, टांक, ओलादर, पन्नाखेड़ी, बारिन्द। ‘झाडौल’ ठिकाना, बड़ी सादड़ी के राजराणा झाला देदा जी के दूसरे पुत्र श्यामसिंह जी के वंशजों का है।
पंवार राजपूतों के 6 ठिकाने :- सियाणा, देवली, गोराणा, भोपतपुरा, कसेड़ी, आमली। डुलावत राजपूतों के 5 ठिकाने :- भानपुरा, सेमल, सिंगरा, उमरना, उमरोद।
भाकरोत राजपूतों के 3 ठिकाने पदराड़ा, पुनावली और कान जी का गुड़ा हैं। कुम्भावत राजपूतों के 3 ठिकाने किशनखेड़ी, तरपाल, समीचा हैं। चावड़ा राजपूतों के 2 ठिकाने :- आर्ज्या, कलड़वास।
आर्ज्या :- जगतसिंह जी (गुजरात के महीकांठा में स्थित बरसोड़े के स्वामी व महाराणा जवानसिंह जी के मामा) के 2 पुत्र कुबेरसिंह जी व जालिमसिंह जी उदयपुर आए, जिनमें से कुबेरसिंह जी को यह जागीर मिली।
कलड़वास :- आर्ज्या के सर्दार कुबेरसिंह जी के भाई जालिमसिंह जी के वंशजों का ठिकाना। यह ठिकाना महाराणा भूपालसिंह जी का ननिहाल रहा।
सुमावत राजपूतों के 2 ठिकाने सेमड़ और मदार हैं। गोड़ राजपूतों का एकमात्र ठिकाना फलासिया है। भोजावत राजपूतों का एकमात्र ठिकाना कटार है। जादव राजपूतों का एकमात्र ठिकाना तालेड़ी है।
बालनोत राजपूतों का एकमात्र ठिकाना काराखेड़ी है। सांखला राजपूतों का एकमात्र ठिकाना भैरोसिंह जी का खेड़ा है। लूणावत राजपूतों का एकमात्र ठिकाना लूणावतों का खेड़ा है। पडियार राजपूतों का एकमात्र ठिकाना काम्बा है।
पोस्ट लेखक :- तनवीर सिंह सारंगदेवोत (लक्ष्मणपुरा – मेवाड़)
Mewad ke Kayast ke bare me koi jankari ho to jarur Pradan kare
Champawat rathoro ka qa itihas or thikane he hkm