मारवाड़ नरेश राव आस्थान राठौड़ (शासनकाल 1273 ई. से 1291 ई. तक) :- राव आस्थान ने डाभी राजपूतों की मदद से खेड़ के गुहिलों को परास्त कर दिया। उक्त डाभी राजपूत मंत्री का नाम आसा था।
इस समय खेड़ के स्वामी प्रतापसिंह गुहिल थे, जो कि कल्याणसिंह के पुत्र थे। जेम्स टॉड ने प्रतापसिंह की जगह महेशदास नाम लिखा है, परन्तु गुहिलों में दास नाम वाले शब्द प्रचलित नहीं रहे, इसलिए प्रतापसिंह ही उचित लगता है।
गुहिल राजपूतों ने राठौड़ों से मैत्री हेतु उन्हें भोजन पर आमंत्रित किया। शुरुआती विवाद का कारण ये था कि राव आस्थान ने प्रतापसिंह गुहिल की पुत्री से विवाह करने का प्रस्ताव रखा, जिसे प्रतापसिंह ने ठुकरा दिया, इस कारण राव आस्थान ने अचानक आक्रमण कर दिया।
आक्रमण के समय डाभी राजपूत अपनी जगह खड़े रहे और देखते रहे। आक्रमण में प्रतापसिंह गुहिल व उनके कई साथी मारे गए और बचे खुचे गुहिल गुजरात की तरफ चले गए और गुजरात में कई जगह गुहिल वंश की स्थापना की।

राठौड़ों की ईडर विजय :- जोधपुर राज्य की ख्यात के अनुसार राव आस्थान ने ईडर जाकर वहां के भीलों को परास्त किया और ईडर पर अधिकार करके वहां का राज अपने छोटे भाई सोनिंग को सौंप दिया। सोनिंग के वंशज ईडरिया राठौड़ कहलाए।
विश्वेश्वर नाथ रेउ के अनुसार राव आस्थान ने ईडर के कोली जाति के राजा सामलिया सोड के मंत्री से मिलकर राजा सामलिया को मार दिया और ईडर पर अधिकार करके अपने भाई सोनिंग को वहां का राज सौंप दिया।
जोधपुर राज्य की ख्यात में आस्थान के सबसे छोटे भाई अज के बारे में लिखा है कि राव आस्थान ने अपने भाई अज को फ़ौज देकर द्वारका की तरफ भेजा, जहां का स्वामी चावड़ा विक्रमसेन था।
वहां जलदेवी ने अज को स्वप्न में आकर कहा कि मैं यहां की भूमि तुझे देती हूं, तू विक्रमसेन का सिर लाकर मुझे चढ़ा। अज ने विक्रमसेन को मारकर उस प्रदेश पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया और उसका सिर जलदेवी को चढ़ाया, इसी से उसके वंशज वाढेल राठौड़ कहलाए।
(जोधपुर राज्य की ख्यात में लिखी उक्त दोनों घटनाओं में कितनी वास्तविकता है यह स्पष्ट नहीं है, परन्तु मेरे अनुसार ईडर का राज्य राव आस्थान ने नहीं, बल्कि सोनिंग जी ने अपने बाहुबल से विजय किया था।
डॉक्टर ओझा के अनुसार उस समय ईडर पर भीलों का नहीं, बल्कि चालुक्यों का राज था, चालुक्यों से संबंधित एक शिलालेख ईडर के मुरलीधर मन्दिर से मिला है, जो की 1297 ई. का है।)
राव आस्थान का देहांत :- जोधपुर राज्य की ख्यात में लिखा है कि “फिरोजशाह (जलालुद्दीन फिरोजशाह खिलजी) ने मक्का जाते वक्त पाली को लूटा और स्त्रियों को बन्दी बनाया। फिर आस्थान ने खेड़ से आकर विक्रम संवत 1248 (1191 ई.) में उसके साथ युद्ध किया और अपने 140 साथियों समेत मारा गया।”

1191 ई. में राव आस्थान थे ही नहीं, उनका शासनकाल ही 1273 ई. से शुरू होता है। 1191 में तो फिरोजशाह नाम का कोई शासक था ही नहीं।
विश्वेश्वर नाथ रेउ ने भी यही घटना लिखी है, परन्तु तिथि 15 अप्रैल, 1291 ई. बताई है, जो कि राव आस्थान के समयकाल के अनुसार ठीक ही लगती है। बांकीदास री ख्यात में भी राव आस्थान का किसी लड़ाई में पाली में वीरगति पाना लिखा है।
हालांकि डॉक्टर ओझा इस बात से असहमत हैं। उनका कहना है कि जलालुद्दीन खिलजी ना तो कभी मक्का गया और ना ही मारवाड़ आया। वह तो रणथंभौर व मालवे की असफलता के बाद इससे आगे कभी बढ़ा ही नहीं।
डॉक्टर ओझा के अनुसार उनका देहांत 1273 ई. के बाद व 1309 ई. से पहले हुआ था। हालांकि विश्वेश्वर नाथ रेउ ने राव आस्थान के देहांत की तिथि अनुमानित की है। उनके अनुसार राव आस्थान का देहांत 15 अप्रैल, 1291 ई. को हुआ।
एक अन्य ख्यात में राव आस्थान के देहांत का वर्ष विक्रम संवत 1348 वैशाख सुदी 15 लिखा है अर्थात 1291 ई.। इसलिए राव आस्थान का शासनकाल 1273 ई. से 1291 ई. तक ही मानना उचित रहेगा।
जोधपुर राज्य की ख्यात के अनुसार राव आस्थान की 2 रानियां थीं, जिनसे 8 पुत्र हुए :- (1) राव धूहड़, जो कि राव आस्थान के उत्तराधिकारी हुए। (2) जोप जी, जिनके 6 पुत्र हुए :- सींधल, जोलू, जोरा, ऊहड़, राजिग, मूलू।
सींधल के वंशज सींधल राठौड़, जोलू के वंशज जोलू राठौड़, जोरा के वंशज जोरा राठौड़ या जोरावत राठौड़, ऊहड़ के वंशज ऊहड़ राठौड़ व मूलू के वंशज मूलू राठौड़ कहलाए।
ग्रंथ वीरविनोद में जोपजी का नाम जोयसा लिखा है व इनके 7 पुत्र होना लिखा है। जोपजी के 7वें पुत्र का नाम राव रांका मिलता है।
(3) धांधल राठौड़ :- इनके 3 पुत्र हुए :- पाबूजी, बूडा और ऊदल। धांधल के वंशज धांधल राठौड़ कहलाए। पाबूजी मारवाड़ के प्रसिद्ध लोकदेवता हैं। पाबूजी का इतिहास अलग से लिखा जाएगा।

(4) हिरडक/हरखा :- इनके वंशज हरखावत राठौड़ कहलाए। (5) पोहड़ :- इनके 9 पुत्र हुए। इनके वंशज पोहड़ राठौड़ कहलाए। (6) खीपसाव :- इनके वंशज खींपसा राठौड़ कहलाए।
(7) आसल :- इनके वंशज आसल राठौड़ कहलाए। (8) चाचिग :- इनके 6 पुत्र हुए। चाचिग के वंशज चाचिग राठौड़ कहलाए।
कर्नल जेम्स टॉड ने राव आस्थान के 8 पुत्र बताए, जिनमें भोपसू, जेठमल व बादर नाम भी शामिल हैं, जो जोधपुर की ख्यात में नहीं मिलते। दयालदास री ख्यात में राव आस्थान के 6 पुत्र बताए गए हैं, जिनमें से बाहुप और चन्द्रसेन नाम भी शामिल हैं।
पोस्ट लेखक :- तनवीर सिंह सारंगदेवोत (लक्ष्मणपुरा – मेवाड़)