खानवा युद्ध के फौजी आंकड़े :- खानवा युद्ध के फौजी आंकड़ों को इतिहास में गलत तरीके से प्रदर्शित किया गया है। इसलिए यहां तर्कसंगत फौजी आंकड़ों का वर्णन किया जा रहा है।
बाबर की फ़ौज :- फ़ारसी तवारीखों में बाबर के फ़ौजी आंकड़े छुपाए गए हैं और कुछ जगह 20 हज़ार की फ़ौज लिखी गई है। अब हम बाबर की फ़ौज के आंकड़ों का वास्तविक निरीक्षण करते हैं :-
बाबर द्वारा बाबरनामा में लिखे आंकड़ों के अनुसार पानीपत की लड़ाई में इब्राहिम लोदी की कुल सेना 1 लाख व बाबर की सेना 12 हजार से कम थी। बाबर ने लिखा है कि पानीपत की लड़ाई में लोदी की तरफ के 50-60 हज़ार सैनिक मारे गए।
बाबर के लिखे आंकड़े निश्चित रूप से अविश्वसनीय हैं। पानीपत की लड़ाई में बाबर की कुल फ़ौज किसी भी हाल में 40 हज़ार से कम नहीं थी। इस लड़ाई में बाबर की तरफ से भी हज़ारों सैनिक मारे गए थे।
लेकिन उसकी फ़ौज में कमी नहीं आई, क्योंकि इस लड़ाई के बाद बहुत से अफगान बाबर के अधीन हो गए, जिससे मालूम पड़ता है कि उसकी फ़ौज घटने के स्थान पर और बढ़ी थी।
पानीपत की लड़ाई के बाद शेख गोरन अपने 2-3 हज़ार सिपाहियों के साथ बाबर की फ़ौज में शामिल हुआ था। बाबर ने हुमायूं को जौनपुर से बुला लिया।
हुमायूं को पहले जौनपुर भेजा गया था। उसे जिन शत्रुओं के विरुद्ध भेजा गया था, उनकी संख्या बाबरनामा में 40-50 हज़ार बताई गई है। यह भी लिखा है कि हुमायूं ने जौनपुर में शत्रुओं की सेना को परास्त किया।
इतिहास की साधारण समझ रखने वाले भी जानते हैं कि हुमायूं कोई ज्यादा कुशल सेनानायक नहीं था। उसके द्वारा जौनपुर में ले जाई गई फ़ौज यदि न्यूनतम भी मानें तो 15 हज़ार तो अवश्य रही होगी।
बाबरनामा में बाबर ने खानवा की लड़ाई में लड़ने वाले जिन सिपहसलारों के नाम दिए हैं, उनमें से बहुत से वे अफ़ग़ान भी शामिल थे, जिनको बाबर ने पानीपत की लड़ाई के बाद परास्त कर अपने अधीन किया था।
जब बाबर ने हिंदुस्तान में दरबार किया, तो यहां शेख बायज़ीद, फ़िरोज़ खां, महमूद खां व काज़ी ज़िया ने उसकी अधीनता स्वीकार कर ली और अपनी-अपनी सेनाओं सहित बाबर के साथ हो लिए।
इनके अलावा बाबर ने संभल, इटावा, धौलपुर, ग्वालियर, कालपी फ़तह किए थे, तो यहां से भी उसे काफी फ़ौजी मदद मिली थी। इन सब आंकड़ों पर गौर किया जाए, तो बाबर की फ़ौज किसी भी हालत में 50-60 हज़ार से कम नहीं रही होगी।
महाराणा सांगा की फ़ौज :- कर्नल जेम्स टॉड के अनुसार खानवा के युद्ध में महाराणा सांगा के साथ 7 उच्च श्रेणी के राजा, 9 राव व 104 सर्दार थे।
राजपूताने के इतिहास में महाराणा सांगा की सेना और उसमें शामिल सामन्तों के सैनिक आंकड़े जो लिखे गए हैं, वे बाबरनामा से ही ज्यों के त्यों लिख दिए गए। ये बात हास्यास्पद ही है कि बहुत से इतिहासकारों ने बाबर द्वारा बताए गए आंकड़ों को सही माना।
बाबर के लिखे अनुसार महाराणा सांगा के पास एक लाख सवार, सलहदी तंवर के पास 30 हज़ार, वागड़ के रावल उदयसिंह के पास 12 हज़ार, मेदिनीराय के पास 12 हज़ार, हसन खां मेवाती के पास 10 हज़ार,
महमूद खां के पास 10 हज़ार, नरबद हाड़ा के पास 7 हज़ार, सरदी के पास 6 हज़ार, भूपतराय तंवर के पास 6 हज़ार, वीरमदेव मेड़तिया के पास 4 हज़ार, चंद्रभान चौहान के पास 4 हज़ार, माणिकचंद चौहान के पास 4 हज़ार,
दिलीपराय के पास 4 हज़ार, मारवाड़ के 3 हज़ार राठौड़, कर्मसिंह के पास 3 हज़ार और डूंगरसिंह के पास 3 हज़ार सवार थे। इस तरह बाबर ने महाराणा सांगा की कुल फ़ौज 2 लाख 22 हज़ार बताई है।
बाबर ने महाराणा सांगा की फ़ौज में शामिल हर एक सिपहसलार के फ़ौजी आंकड़े तो बता दिए, मगर खुद की फ़ौज के सिपहसलारों के आंकड़े तो दूर की बात, कुल फौजी आंकड़ा तक नहीं बताया।
बाबर ने महाराणा सांगा की फ़ौज में शामिल सिपहसलारों के जो आंकड़े बताए हैं वो लगभग वास्तविक आंकड़ों से दुगुने बताए हैं।
कुछ वर्ष बाद में लिखी गई फ़ारसी तवारीख तबकाते अकबरी में निजामुद्दीन बख्शी ने महाराणा सांगा की कुल फ़ौज 1 लाख 20 हज़ार लिखी है और शाहनवाज़ खां ने मआसिरुल उमरा में महाराणा की फ़ौज 1 लाख लिखी है। ये दोनों ही आंकड़े वास्तविकता के करीब हैं।
तुलना :- अब यदि दोनों फौजों के आंकड़ों की तुलना की जाए, तो महाराणा सांगा की फ़ौज बाबर की फ़ौज से दुगुनी थी। जहां बाबर की फ़ौज 50 से 60 हज़ार तक थी, वहीं महाराणा सांगा की फ़ौज 1 लाख से 1 लाख 20 हज़ार तक थी।
परंतु बाबर के पास तोपखाना था, बंदूकें थीं, तुलुगमा पद्दति थी। इन सब बातों पर भी गौर किया जाए, तो पाठकों को भली-भांति समझ आ जाएगा कि वास्तव में आंकड़ों के मुताबिक किसका पलड़ा भारी था।
महाराणा सांगा की सेना में 500 हाथी भी शामिल थे, जो कि बाबर की तरफ बेहद कम थे। लेकिन ये हाथी भी तोप और बंदूकों के आगे बेबस थे, इसलिए इनका वो उपयोग नहीं हो सका, जो अक्सर युद्धों में होता था।
पोस्ट लेखक :- तनवीर सिंह सारंगदेवोत (लक्ष्मणपुरा – मेवाड़)