1527 ई. – बयाना का युद्ध :- बयाना का किला यदुवंशी राजपूतों द्वारा बनवाया हुआ है। बयाना करौली वालों की प्राचीन राजधानी थी। बयाना वर्तमान में भरतपुर जिले में स्थित है।
मुग़ल बादशाह बाबर अपनी आत्मकथा बाबरनामा में महाराणा सांगा के राज्य व उनकी बढ़ती हुई शक्ति के बारे में लिखता है कि
“राणा सांगा इन दिनों अपनी बहादुरी और तलवार से इतना बड़ा हो गया है, कि उसकी असली विलायत (राजधानी) तो चित्तौड़ है, मगर मांडू के बादशाही इलाकों को भी दबा के बैठा है, जैसे रणथंभौर, सारंगपुर, भेलसा, चंदेरी”
बाबर का बयाना पर कब्जा :- बाबर ने पानीपत की लड़ाई में दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी को शिकस्त देने के बाद बयाना का किला लेने की कोशिश की।
इस वक्त बयाना पर निजाम खां का अधिकार था। निजाम खां को जब महाराणा सांगा ने अपने अधीन करने की कोशिश की, तो उसने कहा कि मैं बाबर का ताबेदार (अधीनस्थ) हूँ। इसी तरह जब बाबर ने उससे किला लेना चाहा, तो उसने कहा कि मैं राणा सांगा का ताबेदार हूँ।
जब बाबर को निजाम की यह चाल मालूम पड़ी, तो उसने बयाना पर चढ़ाई कर दी। निजाम खां ने डरकर किला बाबर को सौंप दिया। बाबर ने मेहन्दी ख्वाजा को बयाना का हाकिम बनाया।
बाबर द्वारा मेहन्दी ख्वाजा की मदद ख़ातिर एक फ़ौज और भेजना :- बाबर को ख़बर मिली कि मेवाड़ के महाराणा सांगा ने बयाना की तरफ़ कूच कर दिया है। इस समय बयाना गढ़ पर मेहन्दी ख्वाजा मुग़ल फ़ौज के साथ तैनात था।
बाबर ने मेहन्दी ख्वाजा की मदद ख़ातिर एक फ़ौज और भेजी, जिसमें मोहम्मद सुल्तान मिर्ज़ा, यूनस अली, शाह मंसूर आदि सिपहसलार शामिल थे।
मुगलों द्वारा महाराणा के सिपाहियों को क़ैद करना :- महाराणा सांगा के कुछ सिपाही गिरदावरी (ज़मीन के नाप, फसलों की बुवाई आदि से संबंधित रिकॉर्ड की जांच) के लिए बयाना की तरफ़ आए, तो मुगलों ने 70-80 सिपाहियों को क़ैद कर लिया।
बाबर द्वारा सुलह की कोशिश :- जब महाराणा सांगा अपनी जर्रार फ़ौज के साथ रणथंभौर पहुंचे, तो बाबर ने रायसेन के राजा सलहदी तंवर के ज़रिए दोनों पक्षों में सुलह की कोशिश करवाई।
यह बात महाराणा सांगा को पसंद आई, पर दुश्मन पर ज्यादा दबाव डालने के लिए बयाना पर चढ़ाई का फैसला अटल रखा। बाबर इस वक्त सीकरी में था। हालांकि यदि बाबर चाहता तो उसके पास पर्याप्त समय था कि वह स्वयं बयाना जाता।
लेकिन वह भलीभांति जानता था कि इस समय महाराणा सांगा का सामना करने का एक ही नतीजा निकलेगा और उसका भारत विजय का सपना वहीं धरा रह जाएगा। इसलिए उसने सीकरी में ही रुकना तय किया।
बयाना की लड़ाई में लड़ने वाले बाबर के सिपहसलार :- मेहन्दी ख्वाजा (इसने बयाना के युद्ध में मुग़ल फ़ौज का नेतृत्व किया), मोहम्मद सुल्तान मिर्ज़ा, यूनस अली, आदिल सुल्तान, मोहम्मदी कोकलताश, शाह मंसूर बरलास, कतलक कदम, वली खां जन बेग, अब्दुल्ला पीर कुली, शाह हुसैन, किस्मती, किताबेग, संगर खां।
बयाना के युद्ध में महाराणा सांगा की फौज में शामिल राजा, सामंत आदि योद्धा :- मेवात के नवाब हसन खां मेवाती, मारवाड़ के राव गांगा राठौड़, आमेर के राजा पृथ्वीराज कछवाहा, चंदेरी के राजा मेदिनीराय, डूंगरपुर के रावल उदयसिंह, राजा ब्रह्मदेव, राजा नरसिंह देव, माणकचन्द चौहान, चन्द्रभाण, राय दिलीप।
महमूद खां :- ये दिल्ली के सुल्तान सिकन्दर का बेटा था, जो कि लोदियों से दिल्ली छीने जाने के कारण बाबर से शत्रुता रखता था। बयाना की लड़ाई में महमूद खां भी महाराणा सांगा के पक्ष में रहकर लड़ा।
16 फरवरी, 1527 ई. – महाराणा सांगा की बयाना विजय :- महाराणा सांगा व मुगल बादशाह बाबर द्वारा तैनात फ़ौजों में लड़ाई हुई। इस लड़ाई में मुगलों ने करारी शिकस्त खाई और कई मुगलों ने भागकर अपनी जान बचाई।
बाबरनामा में बाबर लिखता है कि “हमारी फ़ौज में यह ख़बर फैली कि राणा सांगा तेज़ी से आगे बढ़ता हुआ बयाना की तरफ आ रहा है। उस वक्त हमारा पैगाम पहुंचाने वाले (गुप्तचर) ना तो बयाना के किले में जा सके
और ना कोई ख़बर वहां तक पहुंचा सके। बयाना की लड़ाई में हमारी फ़ौज राणा सांगा से हारकर भाग निकली। इस लड़ाई में संगर खां मारा गया। किताबेग ने एक राजपूत पर हमला किया, तो उस राजपूत ने किताबेग के
ही एक नौकर से तलवार छीनकर किताबेग के कंधे पर ऐसा ज़बरदस्त वार किया, कि वह फिर राणा के ख़िलाफ़ बाद में हुई लड़ाई (खानवा) में शामिल नहीं हो सका।
किस्मती, शाह मंसूर बरलास और दूसरे भागे हुए सिपाहियों ने राणा और उसके साथी राजपूतों की बहादुरी की काफी तारीफें कीं, जिससे हमारी फ़ौज में गड़बड़ी फैल गई।”
इस प्रकार बाबर द्वारा किए गए वर्णन से ही स्पष्ट है कि मुगलों की करारी हार हुई थी। मुगलों की इस पराजय से उनके सैनिकों में भय व्याप्त हो गया था।
बाबर, जिसने इब्राहिम लोदी को परास्त करने के बाद लिखा था कि “हिंदुस्तानी सिर्फ मरना जानते हैं, लड़ना नहीं”। पर अब बाबर की यह गलतफहमी भी दूर हो गई। अपने सैनिकों की दशा देखकर उसे अंदाज़ा लग गया था कि महाराणा सांगा को परास्त करना बहुत मुश्किल है।
महाराणा सांगा ने बयाना दुर्ग पर विजय प्राप्त की। महाराणा ने मुगलों से रण कंकण, वर्दी, वितान, कनातें वगैरह ज़ब्त कर लिए। ये सारा ज़ब्त किया हुआ सामान वर्तमान में उदयपुर सिटी पैलेस में मौजूद है।
बयाना की लड़ाई में महाराणा सांगा का पलड़ा काफी भारी रहा था और यह राजपूतों की एकतरफा जीत थी। मुझे अब तक महाराणा सांगा की तरफ के किसी बड़े या विशेष राजपूत सरदार के बयाना की लड़ाई में वीरगति पाने का उल्लेख नहीं मिला है।
फौजी आंकड़े :- ग्रंथ वीरविनोद में बयाना की लड़ाई में महाराणा सांगा की फ़ौज 2 लाख से ज्यादा बताई गई है, जिसमें काफी अतिश्योक्ति है। वीरविनोद में बयाना की लड़ाई की तारीख 21 फरवरी बताई गई है।
अधिकतर लोग महाराणा सांगा व बाबर के बीच लड़े गए 2 ही युद्धों के बारे में जानते हैं और वो हैं बयाना और खानवा। लेकिन इन दोनों युद्धों के बीच में महाराणा सांगा व बाबर की सेनाओं में एक और युद्ध लड़ा गया था, जिसका वर्णन अगले भाग में लिखा जाएगा।
पोस्ट लेखक :- तनवीर सिंह सारंगदेवोत (लक्ष्मणपुरा – मेवाड़)