1884 ई. में बोहेड़ा की लड़ाई में महाराणा सज्जनसिंह की तरफ से वीरगति को प्राप्त 4 योद्धा :- गुलाबसिंह (सज्जन पलटन के सिपाही), नायक धनलाल (चित्तौड़ पलटन के सिपाही), हीरासिंह, बहादुर गुलशेर खां।
इनके अतिरिक्त महाराणा की तरफ के 13 सिपाही सख़्त ज़ख्मी हुए, जिनके नाम इस तरह हैं :- कुबेरसिंह, देवीसिंह, गोविंदसिंह चौहान (ये तीनों ही सज्जन पलटन के सिपाही थे और तीनों को ही पैर में गोली लगी),
जामा मेघा, भोगा दल्ला (ये दोनों ही चित्तौड़ पलटन के सिपाही थे), इनके अलावा चित्तौड़ पलटन के सिपाही हरजी सोमा के मुंह पर गोली लगी। सज्जन पलटन के सूबेदार गणेशराम भी गोली लगने से घायल हुए।
महाराणा की फ़ौज में शामिल घायल मुसलमान सिपाही :- तोपखाना के लेफ्टिनेंट मुमताज अली के पैर में गोली लगी, सिकन्दर खां और सुखम खां के जांघ में गोली लगी, करीमबख्श को कान के पास गोली लगी। महबुल्ला खां, अहमद खां भी ज़ख्मी हुए।
तोपखाने का एक घोड़ा, जिस पर मुमताज अली सवार था, वह घोड़ा इस लड़ाई में मारा गया। इसके अलावा सुखम खां और अहमद खां के घोड़े ज़ख्मी हुए।
बोहेड़ा वालों की तरफ से वीरगति पाने वाले योद्धा :- सुरेडा के तख्तसिंह चुंडावत, सेमारी के अभयसिंह सोलंकी, बोहेड़ा के गुलाबसिंह चुंडावत, मांडकला के हमीरसिंह शक्तावत, भूरक्या के जवानसिंह सारंगदेवोत, गुढ़ा के गुमानसिंह भाखरोत, सीवास के कुशालसिंह राठौड़,
ब्राह्मण मोड़ा चौईसा, खेजड़ी के कमाल खां, खेजड़ी के बाबा भगवानदास, बड़ी सादड़ी के सिपाही यार मुहम्मद खां, चाकर प्यारा, चाकर गोपाल, चाकर पन्ना, चाकर रूपा, चाकर पृथ्वीराज। इनके अलावा एक ब्राह्मण और एक महाजन भी काम आए, जिनके नाम मालूम नहीं।
बोहेड़ा वालों की तरफ से जख्मी होने वालों की सूची :- बोहेड़ा के किशोरसिंह शक्तावत के 18 वर्षीय पुत्र गिरवरसिंह, जिनकी कमर में गोली लगकर पार निकल गई, इनके बाएं हाथ पर भी एक गोली लगी। बोहेड़ा के जवानसिंह शक्तावत के 45 वर्षीय पुत्र बाघजी के पैर की पिंडली में गोली लगी।
सेमारी के पनजी शक्तावत के 24 वर्षीय पुत्र नवलसिंह, जिनको दाएं पैर के टखने पर गोली लगी। खेजड़ी के बलवन्तसिंह के 25 वर्षीय पुत्र दूलहसिंह राठौड़ को दाएं पैर पर गोली लगी। खेजड़ी के गुमानसिंह भागलोत के 25 वर्षीय पुत्र चतरसिंह के मुंह पर गोली लगी।
खेजड़ी के पहाड़सिंह राठौड़ के 30 वर्षीय पुत्र रतनसिंह को एक गोली तो बाएं पैर के टखने पर व दूसरी गोली हाथ के बीच में लगी। सीवास के अनोपसिंह कुंपावत के 45 वर्षीय पुत्र माधवसिंह की कमर पर गोली लगी।
सीवास के गुमानसिंह कुंपावत के 18 वर्षीय पुत्र रघुनाथसिंह को 3 गोलियां लगीं। सीवास के बदनसिंह शक्तावत के 20 वर्षीय पुत्र सुजानसिंह के पैर में गोली लगी।
सेमारी के गुलाबसिंह शक्तावत के 28 वर्षीय पुत्र उदयसिंह के दोनों पैरों की पिंडलियों में गोलियां लगीं। अहमद खां के 32 वर्षीय पुत्र मुहम्मद खां भी ज़ख्मी हुए। इंद्रगढ़ खातोली के भीमसिंह के 60 वर्षीय पुत्र भवानीसिंह के दाएं हाथ के जोड़ में दो गोलियां लगीं।
महाराणा की फ़ौज द्वारा बोहेड़ा वालों व उनकी तरफ से लड़ने वाले जिन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया, उनकी सूची :- इस लड़ाई के कर्ताधर्ता केसरीसिंह शक्तावत, बोहेड़ा के शोभालाल सांभर, बोहेड़ा के फतहसिंह शक्तावत, सेमारी के औनाड़सिंह शक्तावत,
सेमारी के फौजीसिंह शक्तावत, सेमारी के सरदारसिंह शक्तावत, कुवास के गंभीरसिंह शक्तावत, बोहेड़ा के धौंकल शक्तावत, कुराबड़ के जालिमसिंह राठौड़, भींडर के नज़दीक अमरपुरा के लक्ष्मणसिंह राठौड़, खेजड़ी के रामसिंह राठौड़, लूणदा के कृष्णसिंह राठौड़,
सीवास के जवाहरसिंह राठौड़, सीवास के आनंदसिंह राठौड़, सीतामऊ के उम्मेदसिंह राठौड़, दाणी चौतरा के पृथ्वीसिंह राठौड़, बोहेड़ा के मोड़सिंह राठौड़, जयपुर के गोपालसिंह, बोहेड़ा के फतहसिंह सिसोदिया, बोहेड़ा के गंभीर खां, निम्बाहेड़ा के नसीर मुहम्मद पठान,
अठाणा के जवाहरमल कोठारी, बोहेड़ा के जीवा चाकर, बोहेड़ा के शिवा चाकर, बोहेड़ा के रामलाल चाकर, बोहेड़ा के जवाना चाकर, बोहेड़ा के किशना चाकर, राठौड़ों का खेड़ा के मोती चाकर, नाथद्वारा के मराठा ऊंकारसिंह,
बोहेड़ा के बख्तावरसिंह, भींडर के माधवसिंह चौहान, करजेट्या के गिरवरसिंह देवड़ा, पीपली के शेरसिंह देवड़ा, खेजड़ी के महासुन्दर जादव, खेजड़ी के रूपा भाखरोत, बोहेड़ा के संग्रामसिंह चौहान, मुरड़ा के जोधसिंह चुंडावत, जोरा खरवड़।
महता लक्ष्मीलाल द्वारा जब इन सभी 39 लोगों को कैद करके महाराणा सज्जनसिंह के सामने हाजिर किया गया, तो महाराणा ने इनमें से 10 को उदयपुर के क़ैदख़ाने में डाल दिया। दोनों तरफ से जो भी ज़ख्मी हुए, उनको हॉस्पिटल भेजा गया।
इनके अलावा बोहेड़ा वालों की तरफ से गिरफ्तार हुए जो शख्स शेष थे, उनको मेवाड़ से बाहर निकाल दिया गया। महाराणा की फ़ौज में जो वीरगति को प्राप्त हुए, उनके बाल-बच्चों की परवरिश का इंतजाम किया गया और जो ज़ख्मी हुए, उनको इनाम दिए गए।
बेहतर कार्रवाई करने के कारण महाराणा ने इस लड़ाई के नेतृत्वकर्ता महता लक्ष्मीलाल को पैर में पहनने के सोने के लंगर भेंट किए। महता लक्ष्मीलाल जहाजपुर के हाकिम थे।
महाराणा ने फ़ौजी नुकसान की भरपाई हेतु बोहेड़ा पट्टे के मंगरवाड़ गांव को उसके नज़दीकी खेड़ों (छोटे गांवों) सहित खालसा कर लिया (ज़ब्त कर लिया)। फिर महाराणा ने रावत रतनसिंह को बोहेड़ा का मालिक बनाया।
पोस्ट लेखक :- तनवीर सिंह सारंगदेवोत (लक्ष्मणपुरा – मेवाड़)