गोंडवाना की रानी दुर्गावती जी (भाग – 2)

1543 ई. में राजा दलपतिशाह व रानी दुर्गावती के पुत्र वीर नारायण का जन्म हुआ। 1546 ई. में गढ़ा राज्य के प्रतापगढ़ पड़रिया के ज़मींदार ने विरोध किया, तो राजा दलपतिशाह ने उसे हटाकर श्यामचंद्र को वहां की ज़मींदारी सौंपी। राजा दलपतिशाह ने अपनी राजधानी गढ़ा से सिंगोरगढ़ स्थापित कर ली।

राजा दलपतिशाह ने उमर खां रूहिल्ला नामक आक्रांता को पराजित किया। राजा दलपतिशाह के शासनकाल में आधारसिंह का योगदान महत्वपूर्ण रहा। 1548 ई. में राजा दलपतिशाह का देहांत हो गया। इनका शासनकाल मात्र 7 वर्ष रहा। इस समय उनके पुत्र वीर नारायण मात्र 5 वर्ष के थे।

आधारसिंह और मान ब्राह्मण की सलाह से राज्य की बागडोर रानी दुर्गावती ने संभाली और वीर नारायण को राजा की पदवी दे दी। रानी दुर्गावती का देवर चंद्रशाही मौके का फायदा उठाकर गोंडवाना का उत्तराधिकारी बनने के इरादे से आया, लेकिन प्रजा के विरोध के कारण उसे भागकर चांदा में शरण लेनी पड़ी।

रानी दुर्गावती ने सिंगौरगढ़ के स्थान पर चौरागढ़ (वर्तमान मध्य प्रदेश में स्थित) को राजधानी बनाई। सतपुड़ा पर्वत के शिखर पर स्थित चौरागढ़ दुर्ग बहुत मजबूत था।

रानी दुर्गावती जी

मियानां आक्रमण :- होशंगाबाद के मियानां अफगानों के सरदार महंत खां की मौत के बाद नेतृत्वविहीन अफगानों के दल ने गढ़ कटंगा पर एक रानी का राज होने की ख़बर सुनकर बिना विचारे गढ़ा पर हमला कर दिया। रानी दुर्गावती की सेना ने मियानां अफगानों को बुरी तरह पराजित किया।

इनमें से कई अफगान भाग निकले और बचे-खुचे अफगानों ने रानी की अधीनता स्वीकार की और सेना में भर्ती हो गए। शमशेर खां मियानां, मियां मिकारी, खान जहां आदि रानी दुर्गावती की फौज में प्रमुख अधिकारियों में से थे।

1556 ई. – रघुनंदन राय की नाराजगी :- राजपुरोहित महेश ठाकुर हमेशा रानी दुर्गावती को पुराण सुनाया करते थे, लेकिन एक दिन किसी कारण से नहीं आ पाए, तो उन्होंने अपने शिष्य रघुनंदन राय को भेज दिया। रानी को रघुनंदन राय की भाषा क्लिष्ट लगी और रानी ने कुछ आक्षेप किया।

इस बात से नाराज होकर रघुनंदन राय बस्तर के राजा के यहां चले गए, जहां उन्हें 7 हाथी देकर सम्मानित किया गया। रघुनंदन राय ने वापिस लौटकर एक हाथी रानी दुर्गावती को भेंट किया व शेष हाथी अपने गुरु महेश ठाकुर को दान कर दिए। रघुनंदन राय अकबर के पास चले गए, जहां अकबर ने उनको मिथिला की जागीर दी।

बाज बहादुर का पहला हमला :- यह घटना 1556 से 1561 ई. के बीच की है। मालवा के बाज बहादुर ने गोंडवाना पर हमला किया। रानी दुर्गावती ने बाज बहादुर को बुरी तरह परास्त किया। इस लड़ाई में बाज बहादुर का चाचा फतह खां मारा गया।

बाज बहादुर का दूसरा हमला :- तारीख-ए-फरिश्ता में फरिश्ता लिखता है कि “रानी दुर्गावती से पहली दफ़ा शिकस्त खाकर बाज बहादुर सारंगपुर लौट आया और उसने गढ़ा पर हमला करने का इरादा किया। गढ़ा में कदम रखते ही उसे रानी दुर्गावती की फौज से लोहा लेना पड़ा। एक दर्रे के सिरे पर रानी की फौज से टक्कर हुई, जिसमें बाज बहादुर भाग निकला। लड़ाई की शुरुआत में ही बाज बहादुर की फौज घेर ली गई। उसकी फौज के बहुत से आदमी रानी ने बंदी बना लिए और बहुत से मौत के घाट उतार दिए। बाज बहादुर भागते हुए सारंगपुर पहुंचा। इस हार से बाज बहादुर ने खुद को बहुत ज़लील महसूस किया और खुद को हरम में कैद कर लिया। वह कई दिनों तक अपनी रानियों के बीच हरम में बैठा रहा।”

1562 ई. – रानी दुर्गावती के राज्य के आसपास मुगलों को आधिपत्य :- अकबर की धाय माँ माहम अनगा के बेटे आधम खां ने रानी दुर्गावती के शत्रु बाज बहादुर को पराजित किया। बाज बहादुर की प्रिय रानी रूपमती ने ज़हर खाकर आत्महत्या की।

बाज बहादुर भागकर मेवाड़ नरेश महाराणा उदयसिंह की शरण में चला गया। मालवा पर अकबर का अधिकार हुआ और रानी दुर्गावती के राज्य के आसपास मुगलों का आधिपत्य प्रारंभ हुआ।

1562-63 ई. – अकबर द्वारा रानी दुर्गावती का राज छीनने हेतु पहला कूटनीतिक प्रयास :- विशाल मुगल सल्तनत में मुगल बादशाह अकबर को रानी दुर्गावती के विस्तृत प्रदेश की स्वतंत्रता सहन नहीं हुई। इसके अतिरिक्त यह भी मान्यता है कि वह रानी दुर्गावती की सुंदरता के किस्से सुनने के बाद उन्हें पाना चाहता था।

रानी दुर्गावती जी का जन्म स्थान कालिंजर दुर्ग

अकबर ने गोप महापात्र और नरहरि महापात्र को दूत बनाकर रानी दुर्गावती के दरबार में भेजा। आधारसिंह ने आदर सहित इन्हें दरबार के भीतर बुलाया। इन दूतों ने आगरा लौटकर अकबर को रानी के राजकाज के बारे में बताया।

अकबर का दूसरा कूटनीतिक प्रयास :- अकबर ने आधारसिंह को मुगल दरबार में आमंत्रित किया और रानी से मुगल अधीनता स्वीकार करवाने का प्रस्ताव रखा। आधारसिंह ने अकबर के प्रस्ताव को नामंजूर करते हुए कहा कि “हमारा प्रदेश स्वर्ण से संपन्न है, लेकिन शत्रुओं के लिए हमसे अधिक कटु और कोई नहीं।”

पोस्ट लेखक :- तनवीर सिंह सारंगदेवोत (लक्ष्मणपुरा – मेवाड़)

2 Comments

  1. Gopal singh
    June 25, 2021 / 8:21 am

    हुकुम राजा दलपती शाह किस वंश और जाति से ताल्लुक रखते थे

    क्यूंकि किसी सीरियल में उन्हे आदिवासी गोंड बताया गया है

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