वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप (भाग – 19)

महाराणा प्रताप धारावाहिक को हम खुद गौर से देख चुके हैं और कलाकारों की एक्टिंग, गाने, बैकग्राउंड म्यूज़िक सब कुछ अच्छा लगा, लेकिन बात है उन गलत जानकारियों की जो लोग उस सीरियल की वजह से सच मान बैठे हैं।

अब ज़रा एक नज़र भी डाल लीजिए जानकारियों पर :- पहले ही एपिसोड में कुंवर प्रताप रेगिस्तान में दौड़ रहे हैं, जबकि मेवाड़ वालों का रेगिस्तान से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं। निर्माता को ये तक नहीं पता कि मेवाड़ में रेगिस्तान नहीं है

पूरे धारावाहिक के दौरान महाराणा उदयसिंह की 4 रानियां और 4 बेटे दिखाए गए, जबकि इनकी 22 रानियां और 33 बेटों के नाम ग्रंथों में दर्ज हैं।

महाराणा प्रताप के गुरु राघवेंद्र को मुख्य कलाकार के रूप में शुरू से अंत तक दिखाया गया, जबकि उनके बारे में ग्रंथों में कहीं कोई ज़िक्र नहीं मिलता।

कुंवर प्रताप को शम्स खान से लड़ते हुए दिखाया गया, जबकि कुंवर प्रताप उस समय 9 वर्ष के थे व चित्तौड़गढ़ दुर्ग में नहीं, कुम्भलगढ़ में रहा करते थे। शम्स खान वाली लड़ाई में जौहर जैसी परिस्थिति दिखाई गई, जबकि ऐसा कुछ नहीं था।

इस लड़ाई में राजराणा बहादुर नाम के एक काल्पनिक योद्धा को भी महत्वपूर्ण भूमिका में दिखाया गया। कुंवर प्रताप की बैरम खां से काफी लड़ाइयां दिखाई गई, पर वास्तव में इन दोनों का कभी आमना सामना नहीं हुआ।

सीरियल में कई अपमानजनक दृश्य दिखाए गए, जैसे :- कुंवर प्रताप द्वारा चूहे पकड़ना, बैरम खान द्वारा कुंवर प्रताप को कोड़े मारना, महाराणा उदयसिंह की छाती पर शम्स खान का पैर, जौहर को तैयार एक राजपूतानी का शम्स खान के वज़ीर द्वारा हाथ पकड़ना,

महाराणा उदयसिंह को एक दृश्य में मदिरापान करते हुए दिखाना, बूंदी के राव सुरतान द्वारा महिलाओं के वस्त्र पहनना आदि। (मदिरापान मेवाड़ की स्थापना से ही वर्जित था, बाद में 1700 ई. के करीब महाराणा अमरसिंह द्वितीय ने मदिरापान शुरू किया)

महारानी अजबदे को चित्तौड़ के महलों से अपमानित करके निकालने व वर्षों तक बिजोलिया में रहना बताया गया, जबकि ऐसा कुछ नहीं हुआ।

महारानी अजबदे के पिता राव राम रख जी को हार्ट अटैक से मरना दिखा दिया, जबकि इनका देहांत हल्दीघाटी युद्ध में हुआ। बूंदी के राव सुरतान का भरपूर अपमान किया गया, बिना इस ज्ञान के कि ये महाराणा प्रताप के ससुर थे।

इनकी पुत्री शाहमती बाई हाड़ा से महाराणा प्रताप का विवाह हुआ था। बूंदी का हाड़ा वंश अपनी बहादुरी और वतनपरस्ती के लिए राजपूताने में सम्मानित स्थान रखता है।

महाराणा प्रताप को चित्तौड़गढ़ की लड़ाई में 4 महीनों तक सक्रिय भूमिका निभाते हुए दिखाया गया, जबकि इस युद्ध के वास्तविक नेतृत्वकर्ता पत्ता जी व जयमल जी थे।

अकबर व महाराणा प्रताप को कई बार आमने-सामने व लड़ते हुए दिखाया गया, जबकि वास्तव में इन दोनों ने कभी एक दूसरे को नहीं देखा। उदयपुर की स्थापना बताते समय महाराणा उदयसिंह की भूमिका पूरी तरह से गायब कर दी गई, जबकि इसका श्रेय महाराणा उदयसिंह को मिलना चाहिए था।

महाराणा प्रताप की 2 रानियों का ज़िक्र किया गया, जबकि ग्रंथों में 16 नाम मिलते हैं, कहीं कहीं 11 दर्ज हैं। इसी तरह महाराणा प्रताप का एक ही पुत्र दिखाया गया, जबकि उनके 17 पुत्र थे।

महाराणा प्रताप की रानी अजबदे बाई को महाराणा की मौजूदगी में मुगल मारकर चले जाते हैं, जबकि रानी अजबदे बाई का देहांत हल्दीघाटी के 14-15 वर्ष बाद चावंड में किसी बीमारी से हुआ था।

रानी दुर्गावती जो महाराणा प्रताप से 16 वर्ष बड़ी थीं, महाराणा प्रताप को दादाभाई कहकर पुकारती हैं। वास्तव में ये दोनों आपस में कभी नहीं मिले।

हल्दीघाटी जो इतिहास में आमने सामने लड़े गए भयंकर युद्धों की सूची में स्थान रखता है, उसे छापामार युद्ध बता दिया गया। हल्दीघाटी के बाद महाराणा प्रताप का देहांत बता दिया गया, जबकि 25 वर्षों का जो भीषण संघर्ष हल्दीघाटी के बाद किया उसे भूला दिया गया।

10 वर्षीय कुंवर अमरसिंह को राजगद्दी पर बिठा दिया गया, जबकि उस समय उनकी उम्र 38 वर्ष थी। महाराणा प्रताप के देहांत के समय जगमाल और तानसेन को दिखाया गया, जो वास्तव में महाराणा के देहांत से कई वर्ष पूर्व मर चुके थे।

कुछ अजीबोगरीब दृश्य भी थे। जैसे बूंदी में बैठी कुंवर प्रताप की मुंहबोली बहन द्वारा संकट के समय पटाखे फोड़कर चित्तौड़ में बैठे कुंवर प्रताप तक संदेशा पहुंचाना। डायरेक्टर महोदय इस बात से भी अनजान थे कि चित्तौड़ और बूंदी के बीच 150 किलोमीटर का फासला है।

डायरेक्टर राजपूती रहन-सहन व मर्यादाओं से भी अनजान थे। अजबदे बाई जी द्वारा अपने ससुर महाराणा उदयसिंह से बिना पर्दे के बातें करना, कुंवर प्रताप द्वारा अपने ससुर के पांव छूना,

रानी धीरबाई भटियाणी को पूरे सीरियल के दौरान बिना घूंघट के दिखाना, कुंवर प्रताप को नाचते हुए दिखाना, लव मैरिज के दृश्य दिखाना ये सब उस समय सम्भव नहीं था।

अन्य छोटी-बड़ी घटनाएं कपोल कल्पित थीं, जैसे महाराणा प्रताप द्वारा बैरम खान की मदद के लिए जाना, महाराणा प्रताप द्वारा रानी दुर्गावती की बहन को आगरा से क़ैदमुक्त करना, रानी फूलकंवर को अकबर के मंडप से उठाना,

हाकिम खान के पास मदद के लिए जाना, अकबर द्वारा मीराबाई जी को एक हार भेंट करना, चक्रपाणि मिश्र जो महाराणा प्रताप के समय बुज़ुर्ग थे उनको महाराणा प्रताप के हमउम्र बताना, चित्तौड़ की लड़ाई में एक भील स्त्री के काल्पनिक किरदार को दर्शाना आदि।

महाराणा प्रताप को लगभग पूरे सीरियल में भव्य महलों में रहते हुए दिखाया गया है। क्या वास्तव में इस वीर का जीवन महलों में ही बीता ? महाराणा प्रताप ने अपने कुंवरपदे काल में वागड़, छप्पन, गोडवाड़ जैसी वास्तविक लड़ाइयां लड़ी, उनको नहीं दिखाया गया।

हल्दीघाटी के बाद सैंकड़ों थानों पर लड़ाइयां हुई वो नहीं दिखाया गया। दिवेर जैसा महत्वपूर्ण युद्ध नहीं दिखाया गया। जंगलों में 25 वर्षों का कष्टप्रद जीवन नहीं दिखाया गया। महाराणा प्रताप से संबंधित महत्वपूर्ण स्थान जैसे गोगुन्दा, चावंड आदि नहीं दिखाए गए।

अब बात करते हैं महाराणा प्रताप के किरदार की, तो महाराणा प्रताप को अत्यधिक भावुकता से निर्णय लेने वाला बताया गया है, जबकि महाराणा प्रताप का व्यक्तित्व ऐसा नहीं था कि भावुकता हावी हो जाए।

पोस्ट लेखक :- तनवीर सिंह सारंगदेवोत (लक्ष्मणपुरा – मेवाड़)

6 Comments

  1. जगदीश भाटी
    May 3, 2021 / 1:15 pm

    ऐसी महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।ऐसी झूठी मनगढंत कहानियाँ गढ़ कर हमारे वीर शिरोमणि का अपमान किया जा रहा है लोगों को गलत जानकारी दी जा रही है।ऐसे धारावाहिकों पर तुरंत रोक लगनी चाहिए।मैं मारवाङ मेङता का रहने वाला हूँ हमारे यहाँ मीरा बाई और चारभुजानाथ के परम भक्त और वीर शिरोमणि श्री जयमल जी राठौड़ का जन्म हुआ हमें गर्व है इन महान आत्माओं पर।मेवाङ और मारवाङ में रोटी-बेटी का रिश्ता है।अतः महाराणा प्रताप से सम्बंधित गलत जानकारी जनता को देने की जितनी तकलीफ और गुस्सा आपको है उससे कहीं ज्यादा हमें भी हैं।अतः भविष्य में कोई ऐसा ना कर सके इसके लिए कुछ सोचना चाहिए। जय महाराणा प्रताप की,जय हो मीरा बाई की, जय हो भक्त और वीर शिरोमणि श्री जयमल जी राठौड़ की।

    • May 3, 2021 / 1:25 pm

      उचित कहा आपने। आभार आपका।

  2. Kunal
    May 3, 2021 / 4:00 pm

    Filmmakers ne masale ke naam per aur maharana prtap ke liye janprem ko dekhte huye kuch bhi bna diya.. or bholi bhali janta ne usko jyu ka tyu sahi maan liya.. aaj ke log is dharavahik ko itna sach maan bethe h ki jb kile ki prachir se pratap ke akabar ke bhala fenkne wala scene aata h to log baat krte h ki kash thoda or sahi fenka hota bhala to akber mr jata tabhi. Per ye unko kon samjhaye ki real life me wo akbar kabhi samne hi nhi aaaya prtap ke.

    • May 3, 2021 / 6:30 pm

      लोग किताबों से कम और धारावाहिक से ज्यादा सीखते हैं

  3. Kunwar Gopal Singh katyasani
    May 3, 2021 / 5:03 pm

    बन्ना बहुत अच्छे तरीके से खंडन किया आपने भ्रामक जानकारियों का
    जय संघ शक्ति

    • May 3, 2021 / 6:29 pm

      धन्यवाद सा

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