मेवाड़ महाराणा उदयसिंह (भाग – 5)

“महाराणा उदयसिंह के पुत्र”

कुछ ग्रन्थों में महाराणा उदयसिंह के पुत्रों की संख्या 25 बताई गई है व कुछ में 32 व इससे ज्यादा भी बताई गई है

वीरविनोद, मुहणौत नैणसी री ख्यात जैसे अलग-अलग ग्रन्थों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कुल 34 नाम मिले हैं, जो इस तरह हैं :-

1) महाराणा प्रताप

2) कुंवर शक्तिसिंह :- इनके वंशज शक्तावत कहलाए। ये टोडा के सोलंकी राव पृथ्वीराज सुन्द्रसेनोत के दोहिते थे।

महाराज शक्तिसिंह

3) कुंवर वीरमदेव/विक्रम :- इन्होंने महाराणा प्रताप का साथ दिया। कुंवर वीरमदेव को घोसुण्डा की जागीर मिली। इनके वंशज हमीरगढ़, खैराबाद, सनवाड़, आम्बा, महुवा आदि जगह हैं।

4) कुंवर जगमाल :- जगमाल का जन्म 1554 ई. में हुआ। महाराणा उदयसिंह ने इसे उत्तराधिकारी बनाया था, तब सरदारों ने इसे गद्दी से हटाकर महाराणा प्रताप का राजतिलक किया। जगमाल का विवाह सिरोही के राव मानसिंह देवड़ा की पुत्री से हुआ था। जगमाल ने मुगल बादशाह अकबर का साथ दिया। 1583 ई. में महाराणा प्रताप के प्रमुख सहयोगी सिरोही के राव सुरताण देवड़ा के विरुद्ध हुई दत्ताणी की लड़ाई में जगमाल मारा गया।

जगमाल के पुत्र :-

१) रामसिंह

२) श्यामसिंह :- इसका पुत्र मनोहर हुआ।

३) रूपसिंह :- ये देवीदास जैतावत का दोहिता था।

४) रुद्रसिंह

5) कुंवर सागरसिंह :- इसका जन्म 1556 ई. में हुआ था। इसने मुगल बादशाह अकबर व जहांगीर का साथ दिया। सागरसिंह ने पुष्कर में एक लाख का धन खर्च करके वराह मंदिर बनवाया था, जिसे जहाँगीर ने ध्वस्त कर दिया और मूर्ति तालाब में फिंकवा दी। सागरसिंह ने चित्तौड़गढ़ के किले पर 7 वर्षों तक अधिकार किया था। जब किला महाराणा अमरसिंह को वापिस मिल गया, तो सागरसिंह ने मुगल दरबार में आत्महत्या कर ली।

सागरसिंह के पुत्र :-

१) इंद्रसिंह :- ये शेखावतों के भाणेज थे। अपने पिता की जीवित अवस्था में ही इंद्रसिंह की मृत्यु हो गई।

२) मानसिंह :- मानसिंह के पुत्र हरिसिंह, मोकम सिंह व आसकरण हुए।

३) मोहनसिंह :- इन्होंने आत्महत्या की। इनके पुत्र बैरिसाल, रघुनाथ व मदनसिंह हुए।

४) हरिराम :- ये बीकानेर महाराजा रायसिंह राठौड़ के यहां चले गए और वहीं रहे। इनके पुत्र फतहसिंह हुए।

५) जगतसिंह :- ये विट्ठलदास गौड़ के पास चले गए। जब विट्ठलदास किसी लड़ाई में लड़ रहे थे, तब जगतसिंह उनकी तरफ से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।

6) कुंवर अगर :- मुगल बादशाह जहांगीर का साथ दिया

7) कुंवर पच्चन/पंचायण :- इनके वंशज जुलोला, खजूरी, हाजीवास, पंचायणपुर में हैं।

8) कुंवर सिम्हा/साह :- इनके वंशज छापरेड़ में हैं। ये आमेर के राजा जयसिंह कछवाहा के मामा थे। कुँवर साह के पुत्र मथुरादास हुए।

9) कुंवर मानसिंह :- इन्होंने हल्दीघाटी युद्ध में भाग लिया था

10) कुंवर कान्हा :- ये करमचन्द परमार के भाणेज थे। कुंवर कान्हा हल्दीघाटी युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए। इनके वंशज कानावत कहलाए।

11) कुंवर कल्याणमल :- हल्दीघाटी युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए

12) कुंवर लूणकरण सिंह

13) कुंवर शार्दुल सिंह :- ये चद महराजोत खींची के दोहिते थे

14) कुंवर सुल्तान सिंह

15) कुंवर महेशदास

16) कुंवर चन्दासिंह

17) कुंवर रुद्रसिंह :- इनके वंशज सिरोही में हैं। सुरजण नाम के किसी व्यक्ति या शासक ने कुंवर रुद्रसिंह की हत्या कर दी। कुंवर रुद्रसिंह राजराणा झाला सजा के दोहिते थे। कुंवर रुद्रसिंह के पुत्र परबत सिंह हुए।

सिरोही के महाराव राय सिंह देवडा द्वारा परबत सिंह जी सिसोदिया को पिण्डवाडा की जागीर दी गई थी। इनके वंशजों में साणवाडा, सांगवाडा, धनारी, झाडोली आदि जागीरें विभक्त हुई।

राणावत परबत सिंह जी के बाद पिण्डवाडा में क्रमश साहेबसिंह, अमरसिंह, प्रतापसिंह, संग्रामसिंह व सवाईसिंह जी हुए। सवाईसिंह जी ने धनारी के ठाकुर जालमसिंह जी को गोद लिया था।

ठाकुर जालम सिंह जी निसंतान थे, जिससे पिण्डवाडा खालसा राज घोषित किया गया। सन 1811 के पश्चात पिण्डवाडा किसी को भी जागीर में पुनः नहीं मिला।

18) कुंवर खानसिंह

19) कुंवर नगा/नगजसिंह :- इनके वंशज मालवा में नगावत कहलाते हैं। ये बीकानेर के कल्याणमल जैतसिंहोत के दोहिते थे।

20) कुंवर साहेब खान

21) कुंवर भवसिंह

22) कुंवर बेरिसाल

23) कुंवर जैतसिंह :- ये राजराणा झाला सजा के दोहिते थे

24) कुंवर रायसिंह

25) कुंवर जसवन्तसिंह :- ये जोधपुर में रहते थे। इनको सोजत में 12 गांवों समेत सिणला की जागीर दी गई। 1616 ई. में किसी कारण से इन्होंने जोधपुर छोड़ दिया और बुरहानपुर में महाबत खां के पास रहे। महाबत खां से झगड़ा करके फिर जोधपुर आ गए। तब जोधपुर महाराजा ने इनको 11 गांवों समेत धोलहरा की जागीर दी। महाबत खां ने जोधपुर महाराजा को संदेश भिजवाया और कहा कि जसवंतसिंह को अपने यहां मत रखो, तो जोधपुर महाराजा ने जसवंतसिंह को मारवाड़ से विदा कर दिया। जसवंतसिंह के पुत्र सबलसिंह को जोधपुर महाराजा ने जालोर में 4 गांवों समेत कुरड़ा की जागीर दी।

26) कुंवर किशनसिंह

27) कुंवर सुजानसिंह

28) कुंवर परशुराम/रामजी

29) कुंवर भोजराज

30) कुंवर दुर्जनसिंह

31) कुंवर श्यामसिंह :- ताजणे में हरिदास झाला ने इनकी हत्या कर दी। श्यामसिंह के पुत्र साहिब और माधोसिंह हुए। माधोसिंह महाराणा जगतसिंह के शासनकाल में मेवाड़ छोड़कर मुगल दरबार में चला गया।

32) कुंवर सुरताण :- ये कल्याणमल जयमलोत के यहां रहते थे। ये चद महराजोत खींची के दोहिते थे।

33) कुंवर नैतसिंह

34) कुँवर माछल

महाराणा उदयसिंह

(इनमें से सुल्तान सिंह, खान सिंह व साहेब खान मुस्लिम नाम हैं, लेकिन ये नाम ग्रन्थों में भी लिखे हुए हैं)

* अगले भाग में महाराणा उदयसिंह व शम्स खां के बीच हुए युद्ध का वर्णन किया जाएगा

पोस्ट लेखक :- तनवीर सिंह सारंगदेवोत (लक्ष्मणपुरा – मेवाड़)

9 Comments

  1. Devendra Nath chohan
    December 8, 2020 / 2:38 pm

    Kuwar Chanda hi ke vansjo ke thikane konse he

  2. Hardik Sharma
    December 8, 2020 / 4:21 pm

    Very informative
    Jai Mewar

  3. S.k.sharma
    December 9, 2020 / 1:06 pm

    दासी पुत्र को क्या कहा जाता है राजपरिवार में व समाज मे
    बनवीर दखिण चला गया,इसका तो प्रूफ मिल रहा है कि भोंसले जे नाम से महाराष्ट्र की राजनीति में जगह बनाई। लेकिन,आम जनता शिवाजी को सिसोदिया वंश से जोड़ती है,जबकि ,वे बनवीर के वंशज है,ये भी सिध्द हो चुका है,फिर सच्चाई क्यों नही बताई जाती समाज व देश को।
    क्यों, भविष्य के नोजवाओ को गलत जानकारी दी है रही है।
    दासी, तानी बनवीर की माँ, सिसोदिया राजवँश से तो हो ही नहीं सकती। फिर ये गलत जानकारी क्यों,माननीय
    जानकारी देने की मेहरबानी करे

    • December 9, 2020 / 1:37 pm

      अपनी जानकारी दुरुस्त करें क्योंकि छत्रपति शिवाजी महाराज के पूर्वज बनवीर नहीं, बल्कि 14वीं सदी के मेवाड़ी कुँवर सज्जनसिंह जी थे।
      बनवीर का तो अब तक वंशवृत्त ही नहीं मिला है किसी इतिहासकार को।

  4. सज्जन सिंह
    December 9, 2020 / 2:57 pm

    राय सिंह जी कहां गए उनका कोई इतिहास है

    • December 9, 2020 / 5:02 pm

      हमें रायसिंह जी का केवल नाम मिला है, अन्य कोई जानकारी नहीं मिली

  5. अशोक आर्य
    December 11, 2020 / 3:20 am

    जितना महाराणा प्रताप के बारे में पड़ा था उससे कई ज्यादा बलवान साहसी ओर कभी किसी के सामने न झुकने की उनकी ख़ूबी को में सलाम करता हु

  6. pankaj sharma
    December 12, 2020 / 3:32 pm

    Kya maharana prap ke sisodiya vansh hmare aaradhya prabhu shree ram ke vansaj hai ??

  7. Anil Kanawat
    December 20, 2020 / 9:44 pm

    हूक्म
    महाराणा उदय सिंह साहब के 10 वें पुत्र श्री कान्हा जी हल्दीघाटी के युद्ध में शहीद हुए है तो उनकी छतरीयां कहा पर स्थित है। श्री कान्हा जी को अमरगढ़ जागीर में मिला था। कान्हा जी के बारे में शोध करने हेतु विस्तृत जानकारी एवं उनका फोटो कहां पर उपलब्ध हो सकेगा।

error: Content is protected !!