1538-39 ई.
“महाराणा उदयसिंह का विवाह”
सर्दारों ने मारवाड़ से जालौर के अखैराज सोनगरा चौहान को बुलावा भिजवाया
सबने अखैराज चौहान से कहा कि आप अपनी पुत्री का विवाह महाराणा उदयसिंह से कर देवें, ताकि सभी लोग ये सहर्ष स्वीकार कर लेंगे कि महाराणा उदयसिंह ही असल महाराणा हैं
अखैराज चौहान ने कहा कि “इस प्रस्ताव से हमारी हर तरह से उन्नति ही है, लेकिन बनवीर ने अपने हाथों से कुंवर उदयसिंह की हत्या की बात मशहूर कर रखी है, इसलिए अगर आप सभी महाराणा उदयसिंह का झूठा खा लेवें, तो मुझे भी कोई सन्देह न रहेगा”
सभी सर्दारों ने महाराणा उदयसिंह का झूठा खा लिया और अखैराज चौहान ने अपनी पुत्री जयवन्ता बाई का विवाह महाराणा उदयसिंह से कर दिया
1540 ई.
“मावली का युद्ध”
ये युद्ध महाराणा उदयसिंह व बनवीर की सेना के बीच हुआ था। महाराणा उदयसिंह ने परवाने भेजकर सभी सरदारों को उनकी फौजी टुकड़ियों सहित युद्ध में भाग लेने हेतु बुलावा भिजवा दिया। महाराणा उदयसिंह ने मारवाड़ के राव मालदेव राठौड़ से भी सहायता मांगी, तो राव जी ने भी फ़ौज रवाना कर दी।
बनवीर खुद तो चित्तौड़ में बैठा रहा और उसने कुंवर सिंह तंवर के नेतृत्व में अपनी फौज महाराणा उदयसिंह से लड़ने भेजी
मावली / माहोली नामक स्थान पर युद्ध हुआ
“महाराणा उदयसिंह के सर्दार व सहयोगी, जिन्होंने इस युद्ध में भाग लिया”
* राव कूम्पा राठौड़ :- राव कूम्पा मारवाड़ के शासक राव जोधा के बड़े भाई राव अखैराज के पौत्र व राव मेहराज के पुत्र थे। ये कुम्पावत राठौड़ राजपूतों के मूलपुरुष हैं।
* राव जैता राठौड़ :- ये पंचायण राठौड़ के पुत्र थे। ये जैतावत राठौड़ राजपूतों के मूलपुरुष हैं।
(मारवाड़ के शासक राव मालदेव राठौड़ ने राव जैता राठौड़ व राव कूम्पा राठौड़ के नेतृत्व में एक फौज महाराणा उदयसिंह की मदद हेतु भेजी। राव मालदेव ने कुल 4000 की फौज भेजी थी)
* राणा अखैराजोत :- ये मारवाड़ की फ़ौज में शामिल थे।
* भद्दा कान्ह पंचायणोत :- ये मारवाड़ की फ़ौज में शामिल थे।
* राजसी भैरवदासोत :- ये भी राव कूम्पा के नेतृत्व वाली मारवाड़ी फ़ौज में शामिल थे।
* जालौर के अखैराज सोनगरा चौहान :- ये महाराणा उदयसिंह के श्वसुर, महारानी जयवंता बाई के पिता व महाराणा प्रताप के नाना थे।
* डूंगरपुर के कुँवर आसकरण :- मेवाड़ के रावल सामंतसिंह वागड़ में जाकर बस गए थे। रावल सामंतसिंह के वंश में रावल पृथ्वीराज हुए, जो कि डूंगरपुर के 18वें शासक थे। रावल पृथ्वीराज ने महाराणा उदयसिंह की सहायता हेतु अपने पुत्र कुँवर आसकरण को फ़ौज समेत भेजा था।
* बांसवाड़ा के रावल जगमाल :- डूंगरपुर रावल उदयसिंह के छोटे भाई जगमाल को बांसवाड़ा का शासक बनाया गया था। इसलिए रावल जगमाल बांसवाड़ा के पहले शासक थे।
* बूंदी के राव सुल्तान हाड़ा :- ये बूंदी के संस्थापक राव देवा हाड़ा के वंशज थे। राव सुल्तान बूंदी के 9वें राव साहब थे। इन्हें राव सुरतन के नाम से भी जाना जाता है। महाराणा प्रताप धारावाहिक में राव सुरतन का बेहद ही गलत चरित्र चित्रण किया गया था। वास्तव में राव सुल्तान हाड़ा महाराणा प्रताप के श्वसुर थे। राव सुल्तान की पुत्री शाहमती बाई हाड़ा से महाराणा प्रताप का विवाह हुआ था।
* प्रतापगढ़ के रावत रायसिंह सिसोदिया :- महाराणा कुम्भा के भाई क्षेमकर्ण ने कांठल में अपना राज स्थापित किया। इन्हीं के वंश में रावत रायसिंह हुए, जो कि प्रतापगढ़ के चौथे रावत साहब थे। रावत रायसिंह के पिता प्रसिद्ध रावत बाघसिंह थे, जिन्होंने चित्तौड़गढ़ के दूसरे शाके में महाराणा का प्रतिनिधित्व करते हुए वीरगति पाई थी।
* ईडर के राव भारमल राठौड़ :- मारवाड़ के राठौड़ वंश के संस्थापक राव सीहा के पुत्र सोनिंग राठौड़ ईडर के पहले राव साहब हुए। सोनिंग राठौड़ के वंश में राव भारमल राठौड़ ईडर के 15वें राव साहब हुए।
* कोठारिया के रावत खान पूर्विया चौहान
* सलूम्बर के रावत साईंदास चुण्डावत
* केलवा के जग्गा चुण्डावत
* बागोर के रावत सांगा चुण्डावत
* राव अखैराज पंवार
* डोडिया ठाकुर सांडा :- महाराणा लाखा के समय में डोडिया ठाकुर धवल को लावा की जागीर दी गई थी। इन्हीं के वंश में ठाकुर सांडा हुए, जो कि लावा के 7वें ठाकुर साहब थे। इनके पिता डोडिया ठाकुर भाण चित्तौड़गढ़ के दूसरे शाके में वीरगति को प्राप्त हुए थे।
“बनवीर के सहयोगी”
बनवीर के पास कोई दासीपुत्रों की फौज तो थी नहीं। उसकी फौज में शामिल राजपूतों के नाम कुछ इस तरह हैं :-
* रामा सोलंकी :- इसको माहोली की जागीर मिली थी।
* मल्ला सोलंकी :- इसको ताणा की जागीर मिली थी। मल्ला सोलंकी भागकर ताणा चला गया। बाद में ताणा पर झाला राजपूतों का अधिकार रहा।
* कुंवर सिंह तंवर :- ये इस लड़ाई में कत्ल हुआ। इसी ने चित्तौड़ में बैठे बनवीर के आदेश से इस युद्ध का नेतृत्व किया था।
मावली में हुए इस युद्ध में 18 वर्षीय महाराणा उदयसिंह विजयी हुए
(मावली का युद्ध समाप्त)
“कुँवर प्रताप का जन्म”
इसी वर्ष जहाँ एक तरफ महाराणा उदयसिंह ने बनवीर की भेजी हुई सेना को मावली में पराजित किया, वहीं दूसरी तरफ इस शुभ घड़ी में कुम्भलगढ़ दुर्ग में महारानी जयवन्ता बाई के गर्भ से स्वाभिमान के सूरज महाराजकुमार प्रतापसिंह का जन्म हुआ
“कुँवर शक्तिसिंह का जन्म”
इसी वर्ष कुछ महीने बाद महाराणा उदयसिंह की दूसरी रानी सज्जा बाई सोलंकिनी ने कुंवर शक्तिसिंह को जन्म दिया
रानी सज्जाबाई टोडा के राव पृथ्वीराज सोलंकी की पुत्री थीं
* अगले भाग में महाराणा उदयसिंह की ताणा व चित्तौड़गढ़ विजय का वर्णन किया जाएगा
पोस्ट लेखक :- तनवीर सिंह सारंगदेवोत (लक्ष्मणपुरा – मेवाड़)
जय जय मेवाड़,,,,,,,,
सच में बहुत सुन्दर जानकारी
आप ने बहुत मेहनत की है और वो दिख रहा है इतिहास लेखन और ब्लॉग की रुपरेखा
जय महाराणा उदयसिंह जी
जय मेवाड़
Author
धन्यवाद हार्दिक
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जय महाराणा उदयसिंह जी
जय मेवाड़ 🌞
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जय महाराणा उदयसिंह जी
जय मेवाड़ 🌞
जय एकलिंग जी 🙏
शानदार लेख…
🙏🙏
Bhai Bhaii♥️♥️ Bahut shandar
Author
धन्यवाद सा
Bʜᴜᴛ ʜɪ sᴀɴᴅᴀʀ ʜᴍᴇ ʏ ᴘᴛᴀ ɴʜɪ ᴛʜᴀ ᴋɪ ᴊʏᴠᴀɴᴛᴀ ʙᴀɪ ᴊᴀᴏʟʀᴇ ᴋɪ ʀᴀᴊᴋᴜᴍᴀʀɪ ᴛʜɪ
बहुत ख़ूब।
Very nice intiative .. Thank you starting this series again through blog
Author
Most welcome sir
Cool. Very interesting 👌
Author
Thank you
टोडा के राव खानवा के युद्ध में शामिल हुये थे