राव जोधा की रानियां :- ख्यातों में राव जोधा की 11 रानियां होना लिखा है, मुझे उनमें से 7 के नाम मिले हैं, जो कुछ इस तरह हैं :- (1) हाड़ी रानी जसमादे, जिन्होंने जोधपुर में रानीसागर नामक तालाब व एक कुआं बनवाया।
(2) भटियाणी रानी पूरां (3) सांखली रानी नौरंगदे (4) हूलणी रानी जमना (5) सोनगरी रानी चंपा (6) बाघेली रानी वीना (7) सोनगरी रानी चांद कंवर, जिन्होंने जोधपुर में चांद बावड़ी का निर्माण करवाया।
राव जोधा के पुत्र :- अलग-अलग ख्यातों में राव जोधा के पुत्रों की संख्या कहीं 17 तो कहीं 14 लिखी है। मुझे सभी ख्यातों में से राव जोधा के कुल 21 पुत्रों का वर्णन मिला है, जो कुछ इस तरह है :-
(1) कुँवर नींबा :- ये राव जोधा के ज्येष्ठ पुत्र थे। इनकी माता हाड़ी रानी जसमादे थीं। नींबा का देहांत राव जोधा की जीवित अवस्था में ही हो गया था।
(2) राव बीका :- ये सांखली रानी नौरंगदे के पुत्र थे। इन्होंने बीकानेर राज्य की स्थापना की। कुछ ख्यातों में राव बीका को ज्येष्ठ पुत्र बताया गया है।
(3) राव सातल :- ये हाड़ी रानी जसमादे के पुत्र थे। ये राव जोधा के देहांत के बाद गद्दी पर बैठे। राव सातल का शासनकाल मात्र 3 वर्षों का रहा।
(4) राव सूजा :- ये भी हाड़ी रानी जसमादे के पुत्र थे। राव सातल के देहांत के बाद राव सूजा गद्दी पर बैठे। राव सूजा ने 24 वर्षों तक शासन किया।
(5) कुँवर करमसी :- ये भटियाणी रानी पूरां के पुत्र थे। इनके वंशज कर्मसिंहोत कहलाए। करमसी ने खींवसर बसाया, जो कि वर्तमान में राजस्थान के नागौर जिले में स्थित है।
राव जोधा ने इनको नादसर का क्षेत्र दिया था। कर्मसी का विवाह मांगलिया भोज हमीरोत की पुत्री से हुआ, जिन्होंने 5 पुत्रों को जन्म दिया :- उदयकर्ण, पंचायण, धनराज, नारायण, पीथूराव।
कर्मसी भोमियों से युद्ध लड़ते हुए बीकानेर के राव लूणकरण के साथ नारनोल में वीरगति को प्राप्त हुए। कर्मसिंहोत राठौड़ों के कुल 41 ठिकाने हैं।
(6) कुँवर रायपाल :- ये भी भटियाणी रानी पूरां के पुत्र थे। इनके वंशज रायपालोत कहलाए। इन्होंने आसोप बसाया। रायपालोत राठौड़ों के मालगू, ईसरनावड़ो आदि कुल 6 ठिकाने हैं।
(7) कुँवर वणवीर :- ये भी भटियाणी रानी पूरां के पुत्र थे। इनके वंशज वणवीरोत कहलाए। 1481 ई. में कुँवर वणवीर अपने ससुराल सिरोही गए। उस समय सिरोही के राव लाखा देवड़ा पर शत्रुओं ने आक्रमण कर दिया।
कुँवर वणवीर इस लड़ाई में राव लाखा की तरफ से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। इनके वीरगति पाने का उल्लेख खींवसर गांव के शिलालेख में हुआ है।
(8) कुँवर जसवंत :- ये भी भटियाणी रानी पूरां के पुत्र थे। (9) कुँवर कूंपा :- ये भी भटियाणी रानी पूरां के पुत्र थे। (10) कुँवर चांदराव :- ये भी भटियाणी रानी पूरां के पुत्र थे।
(11) कुँवर बीदा :- ये सांखली रानी नौरंगदे के पुत्र थे। इनके वंशज बीदावत कहलाए, जो बीकानेर में रहे। राव जोधा ने कुँवर बीदा को छापर-द्रोणपुर का अधिकारी बनाया। इस इलाके में 170 गांव बीदा के अधिकार क्षेत्र में आते थे।
इनके पुत्र उदयकर्ण, हीरा, संसारचंद हुए। मारवाड़ में कुसियो व सांगू ठिकाने बीदावतों के हैं। सुजानगढ़ व रतनगढ़ के क्षेत्र में भी बीदावतों के 24 ताजीमी ठिकाने रहे।
(12) कुँवर जोगा :- ये हूलणी रानी जमना के पुत्र थे। राव जोधा ने पहले छापर-द्रोणपुर का अधिकार जोगा को ही सौंपा था, परन्तु उनके द्वारा किए गए अयोग्य प्रबंध के कारण यह अधिकार बीदा को सौंप दिया गया। जोगा को कई गांवों सहित खारिया की जागीर भी दी गई।
मालूम नहीं कि इस बात में कितनी सत्यता है, परन्तु एक ख्यात में वर्णन मिलता है कि राव जोधा के बाद जोगा का राजतिलक करने का विचार करके उन्हें बुलाया गया। पर जोगा ने कहा कि मैं अभी-अभी नहाया हूँ, इसलिए ललाट सूखने के बाद आऊंगा।
यह उत्तर सुनकर सरदारों को लगा कि यह राज करने योग्य नहीं है, इसलिए जोगा का राजतिलक नहीं किया गया। जोगा के पुत्र खंगार हुए, जिनसे खंगारोत राठौड़ों की शाखा चली। इनके जालसू आदि कुल 4 ठिकाने हैं।
(13) कुँवर भारमल :- ये भी हूलणी रानी जमना के पुत्र थे। इनके वंशज भारमलोत कहलाए। राव जोधा ने इनको बिलाड़ा का अधिकारी नियुक्त किया। भारमल ने कुछ वर्ष कोढ़णा में भी बिताए।
(14) राव दूदा :- ये सोनगरी रानी चंपा के पुत्र थे। इनका ठिकाना मेड़ता रहा व इनसे राठौड़ों की प्रसिद्ध मेड़तिया शाखा चली। राव दूदा ने नरसिंह सींधल को द्वंद्व युद्ध में मारकर अपनी वीरता का परिचय दिया था।
राव दूदा ने अजमेर के सूबेदार सिरिया खां का भी वध किया। राव दूदा के 5 पुत्र हुए :- वीरमदे, रतनसी, रायमल, रायसल, पंचाथण। वीरमदे के पुत्र चांदा से राठौड़ों की चांदावत शाखा चली।
रीयां, कुचामन, आलनियावास, जावलो, गूलर, भखरी, बूड़सू, मनाणो, चाणोद, घाणेराव आदि कुल 227 ठिकाने मेड़तिया राठौड़ों के हैं। राव दूदा का विस्तृत इतिहास भविष्य में मेड़ता के इतिहास में लिखा जाएगा।
(15) कुँवर वरसिंह :- ये भी सोनगरी रानी चंपा के पुत्र थे। इनके वंशज वरसिंहोत कहलाए। वरसिंह के पुत्र जेता, सीहा हुए। बांकीदास री ख्यात के अनुसार राव जोधा ने वरसिंह व दूदा को सम्मिलित रूप से मेड़ता दिया था।
राव जोधा के देहांत के बाद वरसिंह ने दूदा को मेड़ता से निकाल दिया। दूदा बीकानेर गए। वरसिंह ने अकाल के दौरान बादशाही इलाके सांभर में लूटमार की, जिसका बदला लेते हुए मुसलमानों ने वरसिंह को अजमेर में कैद कर लिया।
दूदा और बीका ने बीकानेर से सेना लाकर वरसिंह को कैद से छुड़ाया। ख्यातों में वर्णन है कि वरसिंह जब मुसलमानों की कैद में थे तब उन्हें ऐसा विष दिया गया था, जिसका असर 6 माह बाद हुआ और उनका देहांत हो गया।
वरसिंह के देहांत के बाद राव सातल ने मेड़ता को अपने अधिकार में ले लिया और दूदा भी वहीं आ गए। दूदा ने आधी भूमि वरसिंह के पुत्र सीहा को दे दी।
(16) कुँवर सामंतसिंह :- ये बाघेली रानी वीना के पुत्र थे। इन्होंने खैरवा पर अधिकार किया। (17) कुँवर शिवराज/सिवराज :- ये भी बाघेली रानी वीना के पुत्र थे। राव जोधा ने इनको दुनाड़ा का क्षेत्र सौंपा।
(18) कुँवर जगमाल (19) कुँवर लक्ष्मण :- इनका देहांत अल्पायु में ही हो गया। (20) कुँवर रूपसिंह :- इनका देहांत भी अल्पायु में ही हो गया। (21) गोपालदास :- इनका नाम केवल बांकीदास री ख्यात में ही मिला है।
राव जोधा की पुत्रियां :- राव जोधा की कई पुत्रियां हुईं, लेकिन केवल कुछ की ही जानकारी मिलती है। राव जोधा की एक पुत्री श्रृंगार देवी हुईं, जिनका विवाह महाराणा कुम्भा के पुत्र रायमल से हुआ।
श्रृंगार देवी का नाम ना तो मेवाड़ की ख्यातों में लिखा है और ना ही मारवाड़ की ख्यातों में। श्रृंगार देवी के विवाह की पुष्टि स्वयं उनके द्वारा खुदवाए गए घोसुंडी के शिलालेख से होती है।
इन्होंने घोसुंडी की बावड़ी का निर्माण करवाया था। इस शिलालेख में इन्होंने अपने पिता राव जोधा का भी वर्णन किया है। राव जोधा की एक पुत्री राजबाई हुईं, जिनका विवाह मोहिल राजा अजीतसिंह से हुआ।
राव जोधा द्वारा अपने भाइयों को निम्न स्थानों का अधिकारी बनाया गया :- राव जोधा ने चांपा रिणमलोत को कापरड़ा व वणाड़, डूंगर रिणमलोत को भाद्राजूण,
रूपा रिणमलोत को चाडाल, मंडला रिणमलोत को साटुड़ा, करना रिणमलोत को लूणावास, पाता रिणमलोत को कणु, वेरा रिणमलोत को दुधवड़ व जगमाल रिणमलोत के पुत्र खेतसी को नेतड़ा का अधिकारी बनाया।
पोस्ट लेखक :- तनवीर सिंह सारंगदेवोत (लक्ष्मणपुरा – मेवाड़)