मारवाड़ नरेश राव रणमल राठौड़ (भाग – 6)

राव रणमल राठौड़ :- मारवाड़ नरेश राव रणमल राठौड़ ने बड़े स्तर पर मेवाड़ की राजनीति को प्रभावित किया था, परन्तु मेवाड़ के मामलों में अधिक हस्तक्षेप ही उनके अंत का कारण बना।

राव रणमल ने कई क्षेत्र जीतकर अपने राज्य का विस्तार किया। राव रणमल की कई रानियों व पुत्रों के कारण उनका परिवार काफी बड़ा था, जिससे काफी वंश वृद्धि हुई।

राव रणमल के पुत्रों का वर्णन :- राव रणमल के पुत्रों से राठौड़ वंश की शाखाओं का जितना प्रसार हुआ है, उतना किसी अन्य राठौड़ शासक के पुत्रों से नहीं हुआ।

राव रणमल के पुत्रों की संख्या कहीं 24, तो कहीं 26 बताई गई है। मुझे विभिन्न ख्यातों से राव रणमल के कुल 28 पुत्रों के नाम मिले हैं, जो इस तरह हैं :-

राव रणमल राठौड़

(1) कुँवर अखैराज :- ये राव रणमल के ज्येष्ठ पुत्र थे। अखैराज की मुख्य जागीर बगड़ी थी। अखैराज जी के वंश से राठौड़ों की कुल 5 शाखाएं चलीं। अखैराज के पुत्र मेहराज, पचायण हुए। मेहराज के पुत्र कूंपा हुए। कूंपा बड़े ही वीर पुरुष थे।

उनका व उनके वंशजों का इतिहास गौरवशाली रहा। कूंपा के वंशज कूंपावत कहलाए। कूंपावत राठौड़ों के आसोप सहित कुल 54 ठिकाने हैं। पचायण के पुत्र जैता हुए, जिनके वंशज जैतावत कहलाए।

जैतावत राठौड़ों के कुल 13 ठिकाने हैं। पचायण के पुत्र भदा जी से भदावत शाखा चली। भदावत राठौड़ों के भदावतों का गुड़ा सहित कुल 4 ठिकाने हैं।

अखैराज जी के पुत्र रावल जी हुए, रावल जी के पुत्र जोगीदास जी हुए, जोगीदास जी के पुत्र कला जी हुए। कला जी से कलावत शाखा चली। अखैराज जी के पुत्र राणाजी से राणावत शाखा चली। इस शाखा का स्थान पालड़ी है।

(2) राव जोधा :- ये राव रणमल के देहांत के बाद मारवाड़ के अगले शासक बने। इनके वंशजों के लाडनूं, भाद्राजूण आदि कुल 152 ठिकाने हैं। राव जोधा ने ही जोधपुर की स्थापना की थी।

(3) कुँवर कांधल :- इनके वंशज कांधलोत कहलाए। इनके वंशज अधिकतर बीकानेर की तरफ हैं। रावतसर, बीसासर, बिलमु, सिकरोड़ी आदि कांधलोत राठौड़ों के ठिकाने हैं।

(4) कुँवर चांपा :- मंडोर से 15 कोस पूर्व में स्थित कापरड़ा नामक गाँव इन्होंने ही बसाया। इनका शेष वर्णन राव जोधा के इतिहास में ही किया जाएगा। इनके वंशज चांपावत कहलाए।

चांपावत राठौड़ों की आईदानोत, विट्ठलदासोत आदि कुल 8 उप-शाखाएं हैं। इनके पोकरण, आऊवा, पीलवा, कापरड़ा, रानीसगांव, दसपान, सिणगरी, रोहट, हरसोलाव आदि कुल 109 ठिकाने हैं।

1857 की क्रांति में अंग्रेजों को धूल चटाने वाले महान क्रांतिकारी ठाकुर कुशालसिंह जी इन्हीं चांपा जी के वंशज थे।

चांपा जी राठौड़

(5) कुँवर लखा/लाखा :- इनके वंशज लखावत कहलाए, जो बीकानेर में रहे। इनके अधिकतर ठिकाने बीकानेर में ही हैं।

(6) कुँवर भाखर :- इनके वंशज भाखरोत राठौड़ कहलाए। भाखर के पुत्र बाला हुए, जिनके वंशज बालावत कहलाए। इनके मोकलसर आदि कुल 40 ठिकाने हैं।

(7) कुँवर डूंगरसी :- इनके वंशज डूंगरोत कहलाए, जो भाद्राजूण में रहे। बाद में भाद्राजूण पर जोधा राठौड़ों का अधिकार हुआ।

(8) कुँवर जैतमाल :- इनके पुत्र भोजराज हुए, जिनके वंशज भोजराजोत कहलाए। भोजराज को राव जोधा ने पालासणी गांव दिया। इस तालाब के किनारे जोगी का आसन है, जिसका निर्माण भोजराज ने करवाया था।

(9) कुँवर मंडल :- इनके वंशज मंडलावत कहलाए। मंडल को राव जोधा ने सारूंडा गांव दिया। चोडां, भँवरानी समेत इनके कुल 9 ठिकाने हैं।

(10) कुँवर पाता :- इनके वंशज पातावत कहलाए। आऊ, चोटिला, करनू, बरजानसर, बूंगड़ी समेत इनके कुल 41 ठिकाने हैं।

(11) कुँवर रूपा :- इनके वंशज रूपावत कहलाए। ऊदट/उदात, मूंजासर, चाखु, भेड़ आदि ठिकाने रूपावत राठौड़ों के हैं। इनके कुल 9 ठिकाने हैं।

(12) कुँवर कर्ण :- इनके वंशज करणोत कहलाए। इन्हीं के वंश में मारवाड़ केसरी वीर दुर्गादास राठौड़ ने जन्म लिया था। राव जोधा ने कर्ण को चवा का पट्टा जागीर में दिया।

एक ख्यात में करणोत राजपूतों के मूडी, काणाणो, समदड़ी, बाघावास, झंवर, सुरपुर, कीतनोद, चांदसमा, मुड़ाडो, जाजोलाई आदि कुल 18 ठिकाने होना लिखा है।

(13) कुँवर साडा/सांडा :- इनके वंशज साडावत कहलाए। (14) कुँवर मांडण :- इनके वंशज मांडणोत कहलाए। पहले मांडण को गुडो, मोगड़ो, झंवर आदि गांव जागीर में मिले थे। एक ख्यात में मांडणोत राठौड़ों के अलाय आदि कुल 7 ठिकाने होना लिखा है।

(15) कुँवर नाथा :- इनके वंशज नाथूओत/नाथोत कहलाए। बीकानेर में नाथूसर आदि गांवों में इनका निवास है। उक्त गांव नाथा जी ने ही बसाया।

(16) कुँवर ऊदा :- इनके वंशज ऊदावत कहलाए। बीकानेर में ऊदासर आदि गांवों में इनका निवास है। (17) कुँवर वेरा :- इनके वंशज वेरावत कहलाए। पहले इनका ठिकाना दूदोड था।

(18) कुँवर हापा :- इनके वंशज हापावत कहलाए। (19) कुँवर अड़वाल :- इनके वंशज अड़वालोत कहलाए। इनके वंशजों का निवास मेड़ता के गांव आछीजाई में रहा।

(20) कुँवर सावर/सायर :- इनका देहांत धणला के तालाब में डूबने से हुआ। इनका देहांत बाल्यावस्था में ही हो गया था।

(21) कुँवर जगमाल :- इनके वंशज जगमालोत कहलाए। जगमाल के पुत्र खेतसी हुए। खेतसी से खेतसीपोत शाखा चली। खेतसी के वंशजों का निवास नेतड़ां नामक गाँव में है।

राव रणमल राठौड़

(22) कुँवर सगता/शक्ता (23) कुँवर गोइंद :- इनका देहांत बाल्यावस्था में ही हो गया था। (24) कुँवर करमचंद :- इनसे करमचंदोत शाखा चली। करमचंद का देहांत शीतला (चेचक/स्मॉल पॉक्स) से हुआ।

(25) कुँवर सीधा (26) कुँवर तेजसी :- इनसे तेजसीपोत शाखा चली। (27) कुँवर बनवीर :- इनसे बनवीरोत शाखा चली। (28) कुँवर गोपा

पोस्ट लेखक :- तनवीर सिंह सारंगदेवोत (लक्ष्मणपुरा – मेवाड़)

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