कोटा से टीके का दस्तूर आना :- कोटा के महाराव शत्रुशाल हाड़ा ने महियारिया लक्ष्मणदान चारण के ज़रिए टीके का दस्तूर उदयपुर भिजवाया। 1 मई, 1881 ई. को महाराणा सज्जनसिंह ने लक्ष्मणदान चारण को ताजीम दी और स्वर्ण के लंगर भेंट किए।
महाराणा का स्वाभिमान :- अंग्रेज सरकार ने पॉलिटिकल एजेंट को मेवाड़ भेजकर महाराणा सज्जनसिंह को कहलाया कि सरकार आपको GCSI (ग्रैंड कमांडर ऑफ दी स्टार ऑफ इंडिया) के ख़िताब से नवाज़ना चाहती है, इस कारण आपको मेवाड़ से बाहर दरबार में उपस्थित रहना होगा।
इस पर कुलाभिमानी महाराणा सज्जनसिंह ने एजेंट से कहा कि “हम ये ख़िताब तभी स्वीकार करेंगे जब भारत का गवर्नर जनरल लॉर्ड रिपन ख़ुद मेवाड़ आकर हमें इस ख़िताब से नवाज़े”
एजेंट ने यह शर्त भारत के गवर्नर जनरल तक पहुंचाई, तो लॉर्ड रिपन महाराणा की ख़ुद्दारी से काफ़ी प्रभावित हुआ और कहा कि हम जल्द ही मेवाड़ आएंगे। 9 अक्टूबर को महाराणा सज्जनसिंह चित्तौड़गढ़ पधारे।
चित्तौड़गढ़ दरबार :- महाराणा सज्जनसिंह ने चित्तौड़गढ़ दुर्ग की मरम्मत का कार्य तेज गति से करवाया और 23 नवम्बर को एक भव्य दरबार व जलसा रखा, जिसमें करीब 50 हज़ार लोग शुमार हुए। इस दरबार में जो सरदार, अहलकार, पासवान, अंग्रेज आदि मौजूद थे, उनकी सूची कुछ इस तरह है :-
राजपूत सरदार :- बेदला के राव तख्तसिंह चौहान व उनके पुत्र कर्णसिंह चौहान, पारसोली के राव रतनसिंह चौहान उनके पुत्र देवीसिंह चौहान, बोरज के बख्तावरसिंह चौहान, बोरज का खेड़ा के भैरवसिंह चौहान, सालेरा के गिरवरसिंह चौहान, लक्ष्मणसिंह चौहान,
बेगूं के रावत मेघसिंह चुंडावत, आमेट के रावत शिवनाथ सिंह चुंडावत, आसींद के रावत अर्जुनसिंह चुंडावत, कालाकोट के रूपसिंह चुंडावत, मेजा के रावत अमरसिंह के पुत्र राजसिंह चुंडावत, भैंसरोड के रावत प्रतापसिंह चुंडावत, भदेसर के रावत भोपालसिंह चुंडावत,
बम्बोरा के रावत प्रतापसिंह चुंडावत, दौलतगढ़ के नवलसिंह चुंडावत, साटोला के रावत तख्तसिंह चुंडावत, बसी के वैरीशाल चुंडावत, सरदारगढ़ के ठाकुर मनोहरसिंह डोडिया, मुरोली के शिवनाथ सिंह भाटी, आर्ज्या के प्रतापसिंह चावड़ा,
देलवाड़ा के राज फतहसिंह झाला व उनके पुत्र जालिमसिंह झाला, ताणा के राज देवीसिंह झाला व उनके पुत्र अमरसिंह झाला, सादड़ी के राज शिवसिंह झाला के पुत्र रायसिंह झाला, कानोड़ के रावत उम्मेदसिंह सारंगदेवोत,
भींडर के महाराज मदनसिंह शक्तावत, मदारा के मेघसिंह शक्तावत, कोल्यारी के रणजीतसिंह शक्तावत, पीपलिया के रावत कृष्णसिंह शक्तावत, विजयपुर के जवानसिंह शक्तावत,
काकरवा के उदयसिंह राणावत, पहूना के जोधसिंह राणावत, हमीरगढ़ के रावत नाहरसिंह राणावत, जीवाणा के केसरीसिंह राणावत, कूंचोली के इंद्रसिंह राणावत, खैराबाद के बाबा जोधसिंह के पौत्र बाघसिंह राणावत, महुवा के बाबा ज्ञानसिंह राणावत,
फतहसिंह के पुत्र गुमानसिंह चांपावत, जयपुर के जोरावरसिंह के पुत्र नारायणदास चांपावत, आगरिया के सरदारसिंह राठौड़, हरणेई के प्रतापसिंह राठौड़, दिवाला के गुलाबसिंह राठौड़, ईटाली के ईसरदास राठौड़ के पुत्र एकलिंगदास,
पृथ्वीसिंह राठौड़, बदनोर के ठाकुर केसरीसिंह राठौड़, निम्बाहेड़ा/लींबाड़ा/लीमाड़ा के दूलहसिंह राठौड़, मंगरोप के बाबा गिरवरसिंह पुरावत, गुरलां के बाबा शेरसिंह पुरावत, गाडरमाला के बाबा केसरीसिंह पुरावत,
बागोर के महाराज शक्तिसिंह, करजाली के महाराज सूरतसिंह व उनके पुत्र हिम्मतसिंह, शाहपुरा के राजाधिराज नाहरसिंह, बनेड़ा के राजा गोविंदसिंह के पुत्र अक्षयसिंह, कारोई के बाबा विजयसिंह, बावलास के कुंवर भोपालसिंह, भूणास के बाबा कृष्णसिंह,
नेतावल के समंदर सिंह, शिवपुर के रायसिंह, श्यामपुरा के प्रतापसिंह, तीरोली के बाबा भोपालसिंह, महाराणा के मामा बख्तावरसिंह, महाराणा के मामा अमानसिंह, जरखाणा के बाबा जसवन्तसिंह के पुत्र मदनसिंह, मंडप्या के बाबा चतरसिंह, रख्यावल के केसरीसिंह।
चारण :- कविराजा श्यामलदास, चमनसिंह दधिवाड़िया, रामसिंह बारहट, कृष्णसिंह बारहट, चंडीदान बारहट, रामलाल आड़ा, उज्वल फतहकरण, राव बख्तावर, मोड़सिंह महियारिया।
अहलकार, पासवान, धायभाई आदि :- महता राय पन्नालाल, महता मुरलीधर, महता लालचंद, महता देवीचंद, महता गोपालदास, महता अर्जुनसिंह, महता तख़्तसिंह, महता विट्ठलदास, महता माधवसिंह, महता लछमीलाल, महता मनोहरसिंह, महता भोपालसिंह, महता रघुनाथसिंह,
कायस्थ अर्जुनसिंह, सहीहवाला कायस्थ अर्जुनसिंह, सहीहवाला लक्ष्मणसिंह, कायस्थ ऊंकारनाथ, कायस्थ मगनलाल, कायस्थ नीमनाथ, कायस्थ मोहनलाल, कायस्थ कुंदनलाल, कायस्थ गुमानचन्द, कायस्थ जालिमचंद, कायस्थ दलीचंद, कायस्थ प्राणनाथ, मुंशी कायस्थ धनलाल,
पुरोहित पद्मनाथ, पुरोहित संतोषलाल, पुरोहित उदयलाल, पुरोहित सवाईलाल, पंडित वंशीधर, पंडित भवानीनारायण, पंडित सुब्रह्मण्य शास्त्री, पंडित ब्रजनाथ, किशोरराय पांडे, भवानीशंकर भट,
धायभाई चतुर्भुज, धायभाई गुमाना, धायभाई गणेशलाल, धायभाई सुखलाल, धायभाई हुक्मीचंद, धायभाई बख्तावर, ज्योतिषी गणेशराम, ज्योतिषी जीवनराम, ज्योतिषी मुकुटराम, ज्योतिषी रघुनाथ,
कोठारी बलवन्तसिंह, कोठारी मोतीसिंह, चौईसा हीरालाल, चौईसा राखीलाल, चौईसा पुरुषोत्तम, मुरड़िया अम्बाव, नथमल झोटा, मोड़ीलाल, सेठ जवाहरमल, अजमेर के सेठ राय शमीरमल, महासाणी रतनलाल,
देपुरा रघुनाथसिंह, उदयराम पाणेरी, शिवलाल भंडारी, मोहनलाल पंड्या, जानी मुकुंदलाल, बड़वा लखमीचंद, दौलतसिंह सुराणा, खवास शिवराज, जंगलात के अफसर विष्णुसिंह,
अब्दुर्रहमान खां, मुंशी अलीहुसैन, मुंशी मुईनुद्दीन, डॉक्टर अकबर अली, ढींकड्या रामलाल, ढींकड्या गणेशलाल, ढींकड्या गोपाल, ढींकड्या नाथूलाल, ढींकड्या जगन्नाथ, ढींकड्या श्रीकृष्ण।
मेवाड़ में नियुक्त अंग्रेज सरकार के मुलाज़िम :- फ़ौजी अफ़सर मिस्टर लोनार्गीन व उसकी पत्नी डॉक्टर मेरी, इंजीनियर टॉमस विलियम (इस इंजीनियर ने मेवाड़ के सड़कों के काम में भीलों का फ़ायदा करवाया था), मिस्टर जर्मनी, हेडमास्टर ज्योर्ज बेअर्ड, मिस बील, मिसेज बील।
अगले भाग में लॉर्ड रिपन के आने व चित्तौड़गढ़ दरबार के बारे में लिखा जाएगा। पोस्ट लेखक :- तनवीर सिंह सारंगदेवोत (लक्ष्मणपुरा – मेवाड़)